-बीबीसी, "गांव वालों से बचने के लिए हम लोग बहुत भागे, लेकिन उन लोगों ने हम लोगों को पकड़ लिया. रात भर पीटते रहे, ब्लाउज़ फाड़ दिया, साड़ी फाड़ डाला और छाती पर चढ़ कर मैला (मानव मल का घोल) पिलाया. सुबह गाछी में ले जाकर बाल काट दिए." मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में भर्ती 55 साल की सुदमिया देवी (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से फ़ोन पर ये बात बताई....
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कोरोना वायरस: झारखंड़ लौटे मज़दूरों ने की खुद किराया चुकाने की बात
-बीबीसी, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले मज़दूरों को अपनी जेब से टिकट के पैसे का भुगतान करना पड़ा है. अपने घर लौटने वाले मज़दूरों ने बीबीसी से बातचीत में यह बात बताई है कि इनसे किराये की पूरी रक़म वसूली गई थी.अलबत्ता केरल के तिरुवनंतपुरम से झारखंड के जसीडीह पहुँची विशेष ट्रेन के इन यात्री मज़दूरों को उनके घरों तक पहुँचाने के लिए झारखंड सरकार ने बसों का इंतज़ाम किया...
More »लॉकडाउन की वजह से बहुत सी जानें ऐसी गईं जिन्हें बचाया जा सकता था, इनमें मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा
-गांव कनेक्शन, कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए लगभग पूरा देश बंद है। इसी बंदी (लॉकडाउन) में लाखों वे लोग भी फंसे हैं, जिनका जहां पर हैं वहां रहना उनके लिए संभव नहीं है। प्रवासी कामगारों, मजदूरों की वापसी पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली हैं, बसें चलाई गईं हैं, लेकिन इन सबके बीच एक रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉकडाउन...
More »कोरोना से संघर्ष के बीच, असम के रास्ते अफ़्रीकी स्वाइन फ्लू के साथ अफ़वाहों की दस्तक!
-मीडियाविजिल, अभी भारत में कोरोना वायरस का संकट चल ही रहा है कि इसी बीच एक और डरावनी ख़बर आनी शुरु हो गई है। असम में अफ़्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) ने दस्तक दे दी है। बीते कुछ ही दिनों में असम के 306 गांवों में कुल 2500 सूअरों की मौत हो चुकी है। इस वायरस का संक्रमण सूअरों से फ़ैलता है। इतने बड़े पैमाने पर सूअरों की मौत पर सरकार ने...
More »घर लौटा प्रवासी मजदूर इज्ज़त के साथ अपने गांव में कैसे टिके और परिवार पाले? कुछ कारगर सुझाव
-जनपथ, हम घर जाना चाहते हैं ! प्रवासी मजदूर आज जहां कहीं भी हैं, ज्यादातर की मांग यही है। सवाल है कि उनके घर में स्थितियां कैसी हैं? अपने घर लौटकर आत्मसम्मान और गरिमा के साथ जीने के लिए उन्हें क्या करना होगा? झारखंड सरकार की घोषणा के अनुसार लॉकडाउन हटने पर कम से कम पांच लाख झारखंडी प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों से अपने घर लौटेंगे। आश्वासन दिया गया है कि...
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