रांची जिला के मांडर प्रखंड की कंजिया पंचायत का एक गांव है - पुनगी. यह गांव आदिवासी बहुल है. एक समय था जब इस गांव की जमीनें सूखी और बंजर हुआ करती थीं. ग्रामीणों को किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं थी. ग्रामीण स्वयं को असहाय महसूस करते थे. रोजी रोटी कमाने के लिए ज्यादातर लोग पलायन कर जाते थे. बाहर के राज्यों में ईंट भट्टों, भवन निर्माण या किसी असंगठित क्षेत्र...
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गांव के शासन में अहम भूमिका निभा रही है महिला ग्रामसभा
महात्मा गांधी का सपना था कि गांव का शासन ग्रामीण चलायें और अपनी प्राथमिकताएं भी वे खुद ही तय करें. हालांकि अब तक यह सपना पूरी तरह सार्थक तो नहीं हो पाया है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि पंचायत चुनाव के बाद इसकी संभावनाएं काफी प्रबल हुईं हैं. गांधीजी के सपने को साकार करने की ओर एक कदम के रूप में महिला ग्रामसभा को देखा जा सकता है. क्या...
More »देश में गरीबी और आंकड़ों का मकडज़ाल- अनंत विजय काला
उलटबांसी : सरकारी अनुमानों और आंकड़ों के विपरीत देश में गरीबों की वास्तविक संख्या सामने नहीं आती केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले गरीब लोगों की संख्या के आंकड़े जारी किए। इसमें एक अच्छी खबर दिखाई दी। सरकारी विचार-मंच योजना आयोग ने कहा कि पिछले वर्ष में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की तादाद 269.3 मिलियन,आबादी का 21.9 फीसदी थी। निश्चित...
More »गड़बड़ाया स्कूली बच्चों का गणित
पटना: हमने बच्चों को शिक्षा का अधिकार भले ही दे दिया है, लेकिन उनकी शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं. सरकारी स्कूलों के बच्चों में सामान्य गणित की समझ और अक्षर ज्ञान में साल-दर-साल गिरावट आ रही है. यह खुलासा असर की नौवीं वार्षिक रिपोर्ट में हुआ है. इसे नयी दिल्ली में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने बुधवार को इसे जारी किया. घटाव व भाग भी नहीं दे सकते...
More »गांव लौटने की मजबूरी - देविंदर शर्मा
बीते सात वर्षों में जिन किसानों ने खेती छोड़कर वैकल्पिक रोजगार अपना लिया था, आगामी कुछ महीनों में उनमें से डेढ़ करोड़ किसानों के थक-हारकर अपने गांव लौट आने की संभावना है। सामान्य स्थितियों में इतने बड़े स्तर पर किसानों के शहरों से गांव लौटने को समावेशी विकास का संकेत माना जाता। लेकिन अर्थशास्त्री इस यू-टर्न को आर्थिक मंदी का नतीजा बता रहे हैं। क्रिसिल ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे...
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