SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1023

भारत में 17 करोड़ से ज्यादा बच्चों का मुश्किल में जीवन

नई दिल्ली। सरकार अपने कुल खर्च का एक फीसद से भी कम बच्चों के संरक्षण पर खर्च करती है और देश में 17 करोड़ से ज्यादा बच्चे और किशोर कठिन परिस्थितियों में रहते हैं। यह बात गुरुवार को बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने कही। बाल श्रम विरोधी कार्यकर्ता शांता सिन्हा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बाल एवं किशोर अधिकारों की रक्षा व उनको बढ़ावा देने की खातिर कानूनी और प्रशासनिक ढांचे...

More »

गंडामन त्रासदी की कड़ियां- अपूर्वानंद

जनसत्ता 25 जुलाई, 2013: मीना कुमारी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 120 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यानी उन पर छपरा के गंडामन गांव के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले तेईस बच्चों की, जो स्कूल का मध्याह्न भोजन खाने के बाद मारे गए, इरादतन हत्या और उनकी हत्या के लिए आपराधिक षड्यंत्र का आरोप है। वे अभी फरार हैं। आज या कल गिरफ्तार कर...

More »

कौशल विकास से दूर होगी युवाओं की बेरोजगारी

दिलीप एम चिनॉय राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डॉयरेक्टर और चीफ एक्जक्यूटिव ऑफिसर हैं. देश में युवाओं के कौशल विकास  की स्थिति, बिहार-झारखंड में कौशल विकास के कार्यक्रम, पंचायत की भागीदारी आदि बिंदुओं पर पेश है पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश :  किसी भी युवा  की जिंदगी में कौशल का क्या योगदान है? राष्ट्रीय कौशल विकास संस्थान किस तरह से युवाओं के कौशल विकास...

More »

रोजगारपरक शिक्षा- राह भूले थे कहां से हम...

सरकार का लक्ष्य साल 2022 तक 50 करोड़ लोगों को रोजगारपरक शिक्षा देने का है। क्या यह लक्ष्य देश के ग्रामीण अंचल में मौजूद जीविका के संकट के समाधान से प्रेरित है? और, क्या यह लक्ष्य देश की श्रमशक्ति की वास्तविक जरुरतों से मेल खाता है?   रोजगारपरक शिक्षा की जरुरतों के तहत नए शिक्षा आयोग के गठन कीकवायद और इसी तर्क के सहारे एक मशहूर केंद्रीय विद्यालय विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम में...

More »

श्रम में खोता बचपन

बाल श्रम हमारे समय की एक दुखद सच्चई है. तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज हम उद्योग-धंधों से लेकर घर के भीतर तक पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में बाल श्रमिकों को देख सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए बेशक कई कानूनी प्रावधान किये गये हों, लेकिन पिछड़े क्या विकसित कहे जाने वाले समाजों तक में लाखों बच्चों का बचपन पेट की भूख मिटाने में दफन हो जाता है. वर्ल्ड...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close