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लॉकडाउन के चलते गरीबी और भुखमरी बढ़ने का खतरा: अमर्त्य सेन, रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी

-द वायर, कोरोना वायरस के बढ़ते संकम्रण को रोकने के लिए लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाए जाने के बाद से विभिन्न वर्गों में चिंता बढ़ गई है. विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर सही तरीके से देश के लोगों को भोजन नहीं मुहैया कराया जाता है और दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ती समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो देश में गरीबी बढ़ने और भुखमरी का खतरा बढ़ सकता है. प्रख्यात...

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कोरोना वायरस: राजस्थान में फंसे बिहार, यूपी, झारखंड समेत कई राज्यों के छात्र

-बीबीसी, देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के कारण लॉकडाउन को 14 अप्रैल से बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है. लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देशभर से आए छात्र फंस गए हैं. "हम पूरी तरह से फंस चुके हैं कोटा में. सोचा था निकलने का कोई ज़रिया निलेगा, लेकिन गवर्नमेंट और कोचिंग की तरफ़...

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संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं

-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...

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कोरोनावायरस संकट के बीच जीवन ही नहीं अब जीविका बचाना भी हो गया है जरूरी

-द प्रिंट, कोरोनावायरस त्रासदी के बीच अब वक्त आ गया है कि जीवन बचाने के साथ जीविका बचाने पर भी सोचा जाये क्योंकि बिना जीविका, जीवन अर्थहीन सा हो जाता है. अगर आपको लगता है कि ये बात करना अभी जल्दबाजी है तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि अगर अभी ये सोचना नहीं शुरू किया गया तो देश में भुखमरी, अपराधों और आत्महत्याओं से हुई मौतों की तादाद कोरोना से...

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कोरोना लाॅकडाउन: बुंदेलखंड वापस आए मजदूरों की चिंता, अब घर कैसे चलेगा

-गांव कनेक्शन, कोरोना वायरस की वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश को लाॅकडाॅउन की घोषणा कर दी। प्रवासी दिहाड़ी मजदूर भी परेशान हो गए, ये वो मजदूर हैं जो कई साल पहले काम की तलाश में गांव-घर छोड़कर शहर चले गए थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद भूखे-प्यासे कई सौ किमी पैदल ही चल घर वापस लौटने लगे। रामकली सहरिया (40 वर्ष) अपने पति और लड़के के साथ गाँव से 690...

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