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20-21 मार्च को फिर से बारिश और ओलावृष्टि का अनुमान, किसानों की बढ़ेगी मुश्किल

-आउटलुक, उत्तर भारत के राज्यों में 20-21 मार्च को फिर से बारिश के साथ ही ओलावृष्टि होने का अनुमान है जिससे किसानों की मुश्किल और बढ़ेगी। फरवरी, मार्च में देश के कई राज्यों में तेज हवा, बारिश और ओलावृष्टि से पहले ही सरसों, चना, मसूर और गेहूं के साथ ही सब्जियों के साथ आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है। 20 मार्च उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में बारिश...

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महाराष्ट्र: मंडी में नहीं बिका तो किसान ने सड़क किनारे फेंका 25 कैरेट टमाटर, सोशल मीडिया पर लिखी वजह

-गांव कनेक्शन, "टमाटर फेंकता नहीं तो क्या करता। मंडी में 50 रुपए कैरेट (करीब 2 रुपए किलो) का भाव था, उतने में भी कोई लेने वाला नहीं था। इसलिए मुझे 25 कैरेट माल फेंकना पड़ा।" महाराष्ट्र में टमाटर का रेट न मिलने से दुखी एक युवा किसान ने 18 मार्च को अपना करीब 500 किलो टमाटर एक सड़क किनारे फेंक दिया। किसान ने टमाटर फेंकते का वीडियो मीडिया पर पोस्ट किया...

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छत्तीसगढ़: पराली जलाने के लिए किसानों पर जुर्माना, किसान सभा ने जताया विरोध

-मीडियाविजिल, छत्तीसगढ़ किसान सभा ने पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा किसानों पर जुर्माना किये जाने का विरोध किया है। राज्य सरकार के इस रवैये को किसान विरोधी करार देते हुए इसकी तीखी निंदा की है। उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले के किसानों से पराली जलाने के अपराध में प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम और एनजीटी के प्रावधानों के अंतर्गत 3 से 5 हजार रुपये जुर्माना वसूला जा रहा है। प्रदेश के...

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भारत में बीटी कॉटन पर किसान कर रहे ज्यादा खर्च : अमेरिकी अनुसंधानकर्ता

-आउटलुक, अमेरिकी अनुसंधानकर्ता का कहना है कि भारतीय किसान जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) बीटी कॉटन के लिए बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं जो चिंताजनक है। अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता ग्लेन डेविस स्टोन ने कहा कि भारत में अब किसान बीज, उर्वरक और कीटनाशक पर अधिक खर्च कर रहे हैं। स्टोन ने कहा कि हमारा निष्कर्ष है कि बीटी कॉटन का प्राथमिक प्रभाव यह होगा कि...

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तटीय किसान, दमदार घास ‘खसखस’ से दौलत कमा रहे हैं

-विलेज स्कवायर, चंद्रशेखर का खेत खारी हवा और लहरों की आवाज़ के बीच, बंगाल की खाड़ी के तट से सिर्फ 50 मीटर दूर है। पुदुचेरी के नरमाई गाँव के चंद्रशेखर (60) दो दशक से ज्यादा समय से यहाँ खेती कर रहे हैं। पहले वे कैसुआरिना और नारियल के पेड़ उगाते थे। चंद्रशेखर बताते हैं – “कैसुआरिना के पेड़ हमें हर छह या सात साल में उपज देते हैं और इस तटीय क्षेत्र...

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