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तीस लाख मतदाता चाहें भी तो इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकते- आखिर क्यों, पढ़िए इस एलर्ट में !

‘वोट इंडिया वोट' के नारे के साथ एक सरकारी वेबसाइट पर लिखा है- ‘ मतदान प्रक्रिया में भाग लें, मतदाता होने पर गर्व महसूस करें.' लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि भारत की एक बड़ी कामगार आबादी चाहे तो भी वोट नहीं कर सकती ? ऐसे कामगारों में एक नाम आता है ईंट भट्ठे के मजदूरों का ! इस बार ईंट भट्ठे पर काम करने वाले तकरीबन 30 लाख मजदूर अपने...

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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सं​​पत्तियां बेचने की तैयारी में केंद्र सरकार

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से ऐसी संपत्तियों की सूची जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है जिन्हें बेचा जा सकता है. साथ ही उन्हें इसके लिए संभावित निवेशकों तथा बोलीदाताओं से बात शुरू करने को भी कहा गया है. एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों के पास विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) के लिए गैर-प्रमुख संपत्तियों को सुपुर्द कर...

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जल क्रांति योजना: पांच सालों में नहीं हुआ कोई काम, पानी की किल्लत से जूझ रहे कई गांव

पांच जून 2015 को तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की. योजना का नाम है, ‘जल क्रांति योजना.' इसे जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए शुरू किया गया था. खासकर, उन इलाकों के लिए जहां पानी की भारी किल्लत है. इसके तहत जल ग्राम योजना, मॉडल कमांड एरिया का गठन, प्रदूषण हटाना, जागरूकता अभियान जैसे लक्ष्य शामिल किए गए थे. नेशनल लेवल एडवाइजरी एंड मॉनिटरिंग...

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बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत

भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...

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बीते दस सालों में सात लाख करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला गया, 80% मोदी सरकार में हुआ

नई दिल्ली: जहां एक तरफ सरकार करदाताओं के पैसों से बैंकों को पूंजी उपलब्ध करा रही है, वहीं दूसरी तरफ बैंक भारी मात्रा में लोन न लौटाने वालों के कर्ज को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं. आलम ये है कि बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान दिसंबर 2018 तक में ही 1,56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है. इस हिसाब से रिजर्व...

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