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का बरखा जब कृषि सुखाने

रामगढ़ [कैमूर]। जनप्रतिनिधियों की नजरअंदाजी तथा शासन-प्रशासन के आला अफसरों की कथित तुगलकी नीतियों के चलते कैमूर जिले के रामगढ़ क्षेत्र के किसानों पर, ..का बरखा जब कृषि सुखाने वाली कहावत एकदम सटीक बैठ रही है। किसानों को जब दरकार थी तब पानी छोड़ा ही नहीं गया और अब जब कृषि कार्य के लिए आवश्यकता नहीं तो नहर में पानी ही पानी दिखने लगा। खून पसीना एक करके किसानों ने किसी तरह गेहूं की...

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गढ्डे के पानी से प्यास बुझा रहे 200 परिवार

जमशेदपुर [मनोज सिंह]। भले ही शुद्ध पेयजल हर नागरिक का मौलिक अधिकार हो, लेकिन शहर के पाश इलाके भाटिया बस्ती से सटी बागेबस्ती में रहने वालों के लिए यह मजाक बनकर रह गया है। इस बस्ती के 200 से अधिक परिवारों के लिए शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जीवनदायिनी खरकई नदी का दुर्गध व कीड़ा युक्त पानी बजाए जीवन देने के बीमारी का कारण बन गया है। बस्ती में उत्क्रमित मध्य विद्यालय...

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पुरखों की जमीन दी, बदले में क्‍या मिला.. !!

राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...

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स्नेह के स्पर्श से जी उठी कोसी

देहरादून, [अरविंद शेखर]। इंसानी करतूतों से पल-पल मरती कोसी के लिए उम्मीद की लौ करीब-करीब बुझ चुकी थी। कभी कोसी नदी की इठलाती-बलखाती लहरों में मात्र स्पंदन ही शेष था। यह तय था कि नदी को जीवनदान देना किसी के वश में नहीं। इन हालात में कोसी को संजीवनी देने का संकल्प लिया इलाके की मुट्ठीभर ग्रामीण महिलाओं ने। नतीजतन आज कोसी के आचल फिर लहरा रहा है। आसपास के इलाके में हरियाली लौट आई है।...

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मंदिर में भगदड़, 63 की मौत

प्रतापगढ़। श्रद्धालुओं का सैलाब पलक झपकते ही मातम के मेले में बदल गया। संत कृपालु महाराज के आश्रम पर प्रसाद, थाली-कंबल के लिए मची होड़ में इस कदर अव्यवस्था फैली कि भगदड़ मच गयी। चीख-पुकार के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने-पड़ने लगे, रौंदने लगे। देखते ही देखते मंदिर प्रांगण में 63 लाशें बिछ गयीं। मौत के शिकार लोगों में 37 तो बच्चे थे और 26 महिलाएं। मौका था कृपालु महाराज की पत्नी की श्राद्ध पर भंडारे...

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