कुछ वाक्य बड़े चमकदार होते हैं. मुंह से निकलते ही ऐसे वाक्य सबकी जबान पर चढ़ जाते हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रेल पुल के शिलान्यास के वक्त प्रधानमंत्री के मुंह से ऐसा ही चमकदार वाक्य निकला कि ‘गरीब चैन की नींद सो रहा है, कालेधन वाले नींद की गोलियां खरीद रहे हैं.' प्रधानमंत्री शायद यूपी के चुनावों को देखते हुए पुरबिया अंचल के लोगों...
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अब हवा सांस लेने लायक नहीं
दुनियाभर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के खतरनाक प्रभाव का विश्लेषण करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल' की संज्ञा दी है. वायु प्रदूषण से बड़ी संख्या में मौताें और बीमारियों से सबसे प्रभावित विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं, लेकिन विकसित देश भी इससे बेअसर नहीं हैं वैश्विक जनसंख्या का 90 प्रतिशत से अधिक भाग प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए अभिशप्त है. यह अच्छी...
More »तलाक से आगे जहां और भी है-- नासिरुद्दीन
मैं भारतीय हूं. मैं मुसलमान हूं. मैं भारतीय मुसलमान स्त्री हूं. पिछले कुछ महीनों से मेरी जिंदगी के बारे में खूब बात हो रही है. मेरे जेहन में भी कई सवाल उठते रहे हैं. बात, जिंदगी के बारे में होती और बहस की सुई तलाक-तलाक-तलाक और निजी कानून पर जाकर अटक जाती है. क्या मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मसला यही है? मेरी जिंदगी, शादी के पहले भी है, शादी...
More »काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज
पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...
More »सबको समय पर न्याय देने के लिए-- के सी त्यागी
विधि मंत्रालय ने जजों की संख्या के जो आंकड़े जारी किए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार, देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या मात्र 18 है, जबकि यह 50 होनी चाहिए। जजों की आनुपातिक संख्या में कमी कोई अचानक उत्पन्न हुई समस्या नहीं है। समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जाता रहा है, परंतु ठोस...
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