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यूपी, बिहार और झारखंड समेत नौ राज्यों के लिए नहीं बढ़ी मनरेगा की मजदूरी

काम ज्यादा- पैसा कम-- शायद, नये वित्तवर्ष में मनरेगा के मजदूरों के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय का संदेश यही है.अगर बात अटपटी लगे तो इस तथ्य पर विचार कीजिए :   पिछले साल के आखिर में खेती-बाड़ी के काम में मनरेगा के फायदे गिनाते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा वित्तवर्ष 2017-18 में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर अबतक मनरेगा की 71 फीसद राशि खर्च हुई है लेकिन नये वित्तवर्ष में...

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संघवाद पर लगी ताजा चोट--डॉ टीएम थॉमस इसाक

राजव्यवस्था का एक सामान्य सिद्धांत है कि वित्तीय संसाधनों का सबसे सही आवंटन सरकार का वह स्तर करता है, जो लाभुकों से सर्वाधिक निकटस्थ होता है, जबकि संसाधनों के बेहतरीन संग्रहण की अपेक्षा सरकार के उस स्तर से की जाती है, जो करदाताओं से सर्वाधिक सुदूर स्थित है. इसलिए सभी सहयोगात्मक संघीय व्यवस्थाओं में कराधान की शक्ति सामान्यतः केंद्र सरकार के पास केंद्रित रहती है, जबकि व्यय का भार...

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भारी गलती है यह ट्रेड वॉर-- अजीत रानाडे

इस वर्ष के प्रारंभ में दावोस में दिये अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापार संरक्षणवाद को तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में एक बताया. दरअसल, इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिपादित तथा अब क्रियान्वित व्यापार नीति से जोड़कर देखा जा रहा है. हाल ही में एल्युमिनियम तथा स्टील के आयात पर उनके द्वारा थोपा गया ऊंचा आयात शुल्क उनके संरक्षणवादी कदमों की शृंखला में नवीनतम कड़ी है, जिसमें आगे...

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इस स्वायत्तता से क्या होगा -- रोहित कौशिक

हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू, बीएचयू, एएमयू समेत देश के बासठ उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, इक्कीस राज्य विश्वविद्यालयों, चौबीस डीम्ड विश्वविद्यालयों तथा दो निजी विश्वविद्यालयों को अपने फैसले लेने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार का दावा है कि इन संस्थानों की शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने के...

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विज्ञान के लिए राष्ट्रीय नीति की जरूरत

हाल में विज्ञान के सबसे बड़े सालाना सम्मेलन- भारतीय विज्ञान कांग्रेस का इंफल में उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक आम लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान करें और वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाएं। इससे युवाओं में वैज्ञानिक चेतना जाग्रत होगी और शोध-अनुसंधान का माहौल भी बनेगा। असल में पिछले एक सौ चार सालों से चल रहे विज्ञान कांग्रेस के इस आयोजन का भी मुख्य...

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