र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
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मर्ज का इलाज नहीं कर्ज माफी - डॉ भरत झुनझुनवाला
आठ साल पहले केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर किसानों का कर्ज माफ किया था। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में किसानों की कर्ज माफी की है। दस वर्षों से भी कम अंतराल में किसानों का कर्ज दोबारा माफ करना पड़ा है। यह दर्शाता है कि मौजूदा व्यवस्था में किसान कर्ज लेते रहेंगे और सरकारें उसे माफ करती रहेंगी। कर्ज माफी किसान की...
More »इस साल फल और शाक-सब्जियों का उत्पादन अनाज से ज्यादा..!
उम्मीद है कि इस बार भी बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से ज्यादा रहेगा. यह चलन बीते पांच सालों से जारी है. बहरहाल, 2014-15 और 2015-16 के मुकाबले इस फसली वर्ष में वानिकी-उत्पाद में बड़ी मामूली वृद्धि होने का पूर्वानुमान है. इन दोनों सालों में देश के ज्यादातर राज्यों ने सूखे का सामना किया था. इस साल 2014-15 के मुकाबले वानिकी-उत्पादन में 2.2 फीसद और 2015-15 की...
More »खाद्यान्न की बंपर पैदावार, 50 लाख टन ज्यादा दाल
नई दिल्ली। मानसून की अच्छी बारिश और सरकार की नीतिगत तैयारियों के मद्देनजर रबी सीजन में खाद्यान्न की बंपर पैदावार होने का अनुमान है। जबकि दलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि होगी। देश की खाद्य सुरक्षा के लिए यह राहत की बात है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जबर्दस्त सुधार की संभावना है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू वर्ष में खाद्यान्न की कुल पैदावार अब...
More »लोक-लुभावन राजनीति के नुकसान - डॉ अनिल प्रकाश जोशी
हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...
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