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नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय

माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...

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बारिश से देश हुआ बेहाल, अब तक 57 लोगों की मौत

नई दिल्ली। मानसून के चलते हो रही भारी बारिश देशभर में सितम ढा रही है। भारी बारिश के चलते उत्तर भारत के कई राज्यों में आम जिंदगी प्रभावित हुई है। जहां उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं असम में बाढ़ से जिंदगी मुहाल है। बारिश के चलते असम समेत देश के अलग-अलग राज्यों में अब तक 57 लोगों की मौत हो गई है।...

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कई राज्यों में आफत की बारिश, बाढ़ की आशंका बढ़ी

बारिश के मौसम में एक तरफ पहाड़ों में भूस्खलन की वजह से कई रास्ते बंद हो गए हैं, वहीं दूसरी तरफ कई मैदानी राज्यों में बाढ़ ने मुसीबत बढ़ा दी है। मौसम विभाग के मुताबिक कई राज्यों में बाढ़ की आशंका जताई गई है। दिल्ली-एनसीआर में देर रात झमाझम बारिश दिल्ली- एनसीआर में भी देर रात कई घंटो तक लगातार बारिश से गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। यहां गुरुवार को...

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नदी जोड़ योजना पर पुनर्विचार जरूरी-- पंकज चतुर्वेदी

अभी केंद्र सरकार ने तय कर दिया है कि भारत पेरिस जलवायु समझौते पर अमल करेगा और अपने यहां कार्बन उत्सर्जन घटाने पर गंभीरता से काम करेगा। ठीक उसी समय हुक्मरान तय कर चुके हैं कि देश में नदियों को जोड़ने की परियोजना लागू करना ही है और उसकी शुरुआत बुंदेलखंड से होगी जहां केन व बेतवा को जोड़ा जाएगा। असल में आम आदमी नदियों को जोड़ने का अर्थ समझता...

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प्रचारों पर टिकीं उपलब्धियां-- पवन कुमार वर्मा

संसार की सच्चाइयों के परे, क्या कहीं प्रचार-प्रसार की कोई सीमा भी है? क्या सभी चीजें उनकी वास्तविकताओं में नहीं, वरन उनकी प्रस्तुति में ही परखी जा सकती हैं? क्या सत्य स्व-विज्ञापन के वाष्प से सृजित एक मरीचिका मात्र है? या कि यदि विज्ञापन अपने दावे के अतिरेक की वजह से वास्तविकता से बहुत विलग हो जाये, तो वह स्व-विनाशक भी हो उठता है? हमारी वर्तमान सरकार प्रचार की जिस...

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