नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। लंबी कशमकश के बाद सरकार ने डीजल पर सब्सिडी खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा ही दिया। जरूरतमंदों तक सब्सिडी पहुंचे, इसके लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण [डीबीटी] की भी शुरुआत हो गई। अब सरकार तय कर चुकी है कि खजाने पर से सब्सिडी का बोझ घटाना है। मगर खाद्य सुरक्षा जैसे बड़े मोर्चे पर कदम बढ़ाकर सरकार ने यह संकेत भी दे दिए हैं कि राजनीतिक...
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समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...
More »बिल से दिल तक- प्रियदर्शन
लोकपाल बिल से बिजली के बिल तक चली आई अरविंद केजरीवाल की राजनीति को अभी कई कड़ी और कहीं बड़ी बाधाओं से भिड़ना है कल तक कानूनी नुक्तों और अदालतों का सहारा लेने वाले अरविंद केजरीवाल ने अपने पहले राजनीतिक कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली में बिजली के कटे हुए कनेक्शन जोड़कर की. अगला हमला सीधे सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर किया और डीएलएफ के साथ-साथ हरियाणा सरकार को भी...
More »300 लखपतियों की पंचायत है बांक
देवघर के मोहनपुर प्रखंड का सबसे समृद्घशाली पंचायत है यह. घोरमारा पेड़ा बाजार है इस पंचायत का प्रमुख उद्योग. देश-विदेश के लोग रुकते हैं पंचायत में. उमेश यादव मोहनपुर प्रखंड का बांक पंचायत. इस पंचायत की नाम जितनी छोटी है, दर्शन उतने ही बड़े हैं. तीन प्लेटफॉर्म वाला रेलवे स्टेशन, स्टेट हाइवे, डाकघर, दो-दो बैंक शाखाएं, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, उच्च विद्यालय, डाक बंगला, बड़े-बड़े तालाब, एक महीने में 10 करोड़ से अधिक...
More »कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
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