मानवीय अस्मिता के साथ जीवन बिताने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को कितने पैसे की जरूरत हो सकती है? हम जिस समय में जी रहे हैं, उसमें ऐसा कभी-कभार ही होता है कि अखबारों के फ्रंट पेज और खबरिया चैनलों के प्राइम टाइम बुलेटिनों में यह सवाल सुर्खियों में आया हो। यह भी आम तौर पर नहीं होता कि इस पहेली ने मध्यवर्ग की चेतना को चुनौती दी हो। लेकिन जब...
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लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)
भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...
More »बेहाल बुंदेले बदहाल बुंदेलखंड - 1
अपनी वीरता और जुझारूपन के लिए प्रसिद्ध बुंदेलखंड में कई सालों के सूखे, इसके चलते पैदा कृषि संकट और इनसे निपटने की योजनाओं में भ्रष्टाचार ने पलायन और आत्महत्याओं की एक अंतहीन श्रृंखला को जन्म दे डाला है. - रिपोर्ट रेयाज उल हक बुंदेलखंड को मिले 3,506 करोड़ रुपए के पैकेज से महोबा जिले के पवा गांव की रामकली को समय पर और नियमित रूप से राशन मिल जाने की कम...
More »इन बंजारों की धरती कहां है -- शिरीष खरे
एक बार बीड़ जिले के पाथरड़ी तहसील में कहीं चोरी हुई. कई महीने बीते, मगर चोर का अतापता न चला. आष्टी तहसील से थोड़ी दूरी पर चीखली गाँव हैं. इसी गाँव के पास घूमते-फ़िरते रहवसिया नाम का पारधी परिवार आ ठहरा. बस फिर क्या था, पुलिस ने उसे ही इतनी दूर की वारदात में अंदर डाल दिया. जहाँ रहवसिया दो महीनों तक जेल में रहा, वहीं गाँव में ऊँची जाति...
More »इस गांव के घरों में नहीं लगते दरवाजे
इलाहाबाद। आज के समय में जहां बढ़ती चोरी और लूट की घटनाओं से सबक लेकर लोग अपने घरों में सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के पुख्ता इंतजाम करते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां स्थानीय लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते। उनकी मान्यता है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के कोरांव क्षेत्र स्थित दलित बहुल सिंगीपुर गांव के मकानों में यह समानता देखने...
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