मनासा। जिम्मेदारी की सुस्ती के चलते चुस्त खनन माफियाओं के हौसले दिनोंदिन बुलंद होते जा रहे हैं। नदियों और पहाड़ियों की खुदाई करने के बाद अब गांधीसागर का डूब क्षेत्र खनन माफियाओं के निशाने पर है। डूब क्षेत्र के रामपुरा, चचौर, देवरान, कुंडला और आंत्री में जैसे-जैसे जलस्तर कम होता जा रहा है, खाली होने वाली जमीन पर खुदाई कर खनन माफिया रातोंरात रेत निकाल कर रहे हैं। ताज्जुब इस...
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सस्ती जमीन, पर बेशकीमती रोजगार- एम एन बुच
इन आम चुनावों में गुजरात सरकार पर बार-बार आरोप लगाया जा रहा है कि उसने पूंजीपतियों को कौड़ियों के मोल जमीन बांट दी है। इसमें व्यक्ति विशेष का उल्लेख किया जा रहा है, परंतु यह नहीं बताया जा रहा कि राज्य सरकार की नीति ही है कि उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए औद्योगिक इकाइयों को इसी दर पर जमीन दी जाए। यदि आवंटन में और आवंटन शुल्क में पक्षपात...
More »विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह
जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...
More »राज्यों से बेहतर तालमेल जरूरी- नृपेन्द्र मिश्र
बस दो हफ्तों की बात और है, इसके बाद केंद्र में एक नई सरकार होगी, जिसे बेकाबू भ्रष्टाचार, धीमी विकास दर, बेरोजगारी, आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों और गहरी जड़ें जमा चुकी दोषपूर्ण मान्यताओं से उपजी राजनीतिक व्यवस्था जैसी विकराल चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चुनावी सरगर्मियों पर नजर डालने से साफ पता चलता है कि ऐसे तीन मुद्दे हैं, जो औसत मतदाता की परेशानियों का सबब बनते हैं। इनमें सबसे...
More »कृषि-भूमि और विदेशी निवेश- के पी सिंह
जनसत्ता : शहरी विकास मंत्रालय का प्रस्ताव है कि विदेशी कंपनियों को कृषि-भूमि खरीदने की अनुमति दी जाए ताकि शहरीकरण की प्रक्रिया में विदेशी निवेश हो और विकास रफ्तार पकड़ सके। मंत्रालय की दलील है कि शहरी आवास परियोजनाओं के लिए पहले से ही कृषि-भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, इसलिए विदेशी कंपनियों को भी इस उद््देश्य के लिए कृषि-भूमि खरीदने की अनुमति देने में कोई हर्ज नहीं है।...
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