ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...
More »SEARCH RESULT
क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स?-- सलमान रावी
मंगलवार को ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2016 की रैंकिंग जारी हुई है, इस रैंकिंग के मुताबिक भारत में स्थिति काफ़ी गंभीर है, लेकिन क्या है ये ग्लोबल हंगर इंडेक्स? क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स? अलग-अलग देशों में लोगों को खाने की चीज़ें कैसी और कितनी मिलती हैं यह उसे दिखाने का साधन है. 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' का सूचकांक हर साल ताज़ा आंकड़ों के साथ जारी किया जाता है. इस सूचकांक के ज़रिए विश्व...
More »भुखमरी से जूझ रहा है भारत, 39% बच्चे हैं आज भी कुपोषित
निया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के लिए मंगलवार को जारी की गई ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) की रैंकिंग बुरी खबर लेकर आई है। भुखमरी और कुपोषण को ध्यान में रखकर तैयार की जाने वाली इस 118 देशों की रैंकिंग में भारत अभी भी 97वें पायदान पर है। भारत के कई पड़ोसी देश जैसे नेपाल (72वें), म्यांमार (75वें), श्रीलंका (84वें) और बांग्लादेश (90वें) स्थान के...
More »महंगाई व विकास में संतुलन की चुनौती-- अश्विनी महाजन
रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के स्थान पर चार सितंबर से उर्जित पटेल ने रिज़र्व बैंक गवर्नर का कार्यभार संभाला है। रघुराम राजन के कार्यकाल के अंतिम 6 माह, विवादों से भरे रहे। नए गवर्नर उर्जित पटेल, अभी तक रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर और पूर्व गवर्नर के सहयोगी तो रहे ही, साथ ही मौद्रिक नीति के बारे में उनकी राय, रघुराम राजन से मेल खाती है। मुद्रा स्फीति को...
More »बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर
सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »