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कॉप-27: क्या सेनाओं का बढ़ता कार्बन फुटप्रिंट एमिशन रिपोर्टिंग का हिस्सा नहीं होना चाहिए?

डाउन टू अर्थ, 07 नवम्बर दुनिया भर में कई शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाएं बड़ी तेजी से अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने में लगी हुई हैं। हर दिन दुनिया के किसी न किसी हिस्से से मिसाइल या अन्य हथियारों के किए जा रहे परीक्षण की खबरे सामने आती रहती हैं। ऐसा ही एक परीक्षण हाल ही में नार्थ कोरिया ने किया था। देखा जाए तो दुनिया भर में सशस्त्र बलों को मजबूत करने की एक...

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कॉप-27: सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में हो सकती 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि

डाउन टू अर्थ, 06 नवम्बर हाल ही में जारी अनुमानों से पता चला है कि सदी के अंत तक भारत के वार्षिक औसत तापमान में 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और जलवायु परिवर्तन की वास्तविक कीमत का आंकलन कर रहे शोध संस्थान क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई है। इस बारे में जारी नए आंकड़ों से पता चला है...

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कश्मीर में किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही बादाम की खेती, दूसरी बागवानी फसलों की तरफ कर रहे हैं रुख

गाँव कनेक्शन, 3 नवम्बर कश्मीर के मीठे बादाम, जिनमें तेल की मात्रा अधिक होती है, 'मेवा के राजा' के रूप में जाने जाते हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार भारत में उत्पादित कुल बादाम का 91 प्रतिशत से अधिक जम्मू और कश्मीर में खेती की जाती है, इसके बाद हिमाचल प्रदेश में नौ प्रतिशत की खेती की जाती है। लेकिन, कश्मीर के बादाम के बागों की जगह धीरे-धीरे सेब सहित अन्य...

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जलवायु परिवर्तन के चलते पहले से कहीं ज्यादा होंगें इंद्रधनुषों के दीदार

डाउन टू अर्थ,1 नवम्बर शायद ही कोई ऐसा प्रकृति प्रेमी होगा जिसे इंद्रधनुष की सतरंगी आभा अच्छी न लगती हो। आसमान में जब इंद्रधनुष नजर आता है तो सबकी नजरें उसी पर टिक जाती हैं। आपमें से बहुत से लोगों ने इसे देखा भी होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जलवायु में आते बदलावों के चलते धरती पर पहले से कहीं ज्यादा इंद्रधनुष नजर आएंगें।  इस बारे में हवाई विश्वविद्यालय से...

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प्रकृति का बदलता मिजाज: किसानों पर पड़ रहा भारी

गाँव कनेक्शन, 17 अक्टूबर प्रकृति का बदलता स्वरूप प्रलयकारी सिद्ध हो रहा है। साल दर साल अतिवृष्टि की घटनाएं बढ़ती चली जा रहीं हैं। दुनियां के अधिकांश देशों में कुदरत के प्रलयकारी रौद्र रूप की खबरें पढ़ने, सुनने और देखने को मिल रहीं हैं। प्रकृति से जुड़ी यह ऐसी घटनाएं हैं, जिनको रोक पाना मनुष्य के बस में नहीं हैं। लेकिन इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार ज्यादातर मनुष्य ही है। पिछले...

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