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मिड-डे-मील में डाइट मनी बढ़ी

हमीरपुर। सरकार ने स्कूलों में मिड-डे-मील की डाइट मनी बढ़ा दी है। हालांकि प्रति छात्र 20 और 30 पैसे की ही बढ़ोतरी की गई है, लेकिन डिपो से राशन मिलने के कारण इस राशि का इस्तेमाल बच्चों का पोषण सुधारने के लिए किया जाएगा। इससे स्टूडेंट्स के खाने के मेन्यू में सोयाबीन की न्यूट्री भी शामिल की गई है, जिसे रोज परोसा जाएगा। 7.5 फीसदी की वृद्धि एलीमेंटरी शिक्षा निदेशालय ने...

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प्रसव मुफ्त होगा, नवजात का 30 दिन तक खर्च उठाएगी सरकार

र्माडीखेड़ा (मेवात). महिलाओं को अब सरकारी अस्पतालों में प्रसव के दौरान मुफ्त इलाज मिलेगा। उनके शिशु की देखभाल का जिम्मा भी 30 दिन तक केंद्र सरकार उठाएगी। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को हरियाणा के मेवात में इस जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का उद्घाटन किया। सोनिया गांधी ने देश भर की राज्य सरकारों से इस कार्यक्रम को ईमानदारी से लागू करने की अपील की। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने बताया...

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एक स्कूल ऐसा भी जहां केवल झंड़ा फहराने आते हैं शिक्षक

पाकुड़। शिक्षा के क्षेत्र में सूबे का सर्वाधिक पिछड़ा जिला पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड वास्तव में शिक्षक व अधिकारियों के कारण पिछड़ा है। आदिवासी व पहाड़िया बहुल यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण सरकार की नजरों से भी दूर है। ऐसे में अधिकारियों की मिलीभगत से यहां मैनेज करने का धंधा बदस्तूर जारी रहता है। इसी क्रम में शिक्षा के क्षेत्र में हो रही गड़बड़ियों के विरूद्ध जिले में भास्कर...

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इतिहास के आईने में किसान आंदोलन-- योगेंद्र यादव

इधर राहुल गांधी का भट्टा-परसौल में आना हुआ तो उधर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जाना. पहली नजर में इन दोनों घटनाओं का आगे-पीछे होना विशुद्ध संयोग है. लेकिन जरा गौर से देखें तो इस संयोग में गहरे निहितार्थ छिपे दिखाई देते हैं. यहां किसान आंदोलन के भूत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाले कुछ तार बिखरे पड़े हैं. राहुल गांधी का आना किसान आंदोलन की तात्कालिक विजय का प्रतीक...

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शख्शियत बड़ी या संदेश- राजदीप सरदेसाई

‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...

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