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महाराष्ट्र के गांवों में हर साल क्यों आती है बाढ़?

-न्यूजलॉन्ड्री, महाराष्ट्र गोवा और कर्नाटक से होकर जाने वाला कोंकण रेलवे मार्ग सबसे सुंदर ट्रेन यात्रा में से एक माना जाता है. यहां ट्रेन की पटरियां सहयाद्री की पहाड़ियों की तलहटी, लहलहाते हुए जंगलों और कलकल बहती नदियों से लगकर लहराते हुए जाती हैं. कोंकण रेलवे का निर्माण चुनौतियों से भरा था, मानसून के दौरान मूसलाधार बरसात, भुरभुरी मिट्टी जिसकी वजह से सुरंगे कई बार रह जाती थीं और पश्चिमी घाटों के...

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क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?

-डाउन टू अर्थ, जिस समय दुनिया वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिए ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज के बैनर तले कॉप-26 में कार्बन बजट पर चर्चा करने में व्यस्त थी, ठीक उसी समय एक अन्य मोर्चे पर एक और महत्वपूर्ण बहस चल रही थी। इस बहस के केंद्र में था कि क्या हम प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं? यह बहस उस उपभोग...

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अक्टूबर में वस्तुओं की थोक कीमत बढ़कर 12.54% हुई- मैन्युफैक्चर्ड चीजों के दाम में इजाफा

-द प्रिंट, नई दिल्ली: थोक वस्तुओं के दामों में सितंबर की 10.66 की तुलना में अक्टूबर में 12.54 फीसदी का इजाफा हो गया है. जिससे थोक वस्तुओं की कीमत में 1.88 फीसदी अधिक बढ़ोत्तरी हो गई है. इससे खास तौर से विनिर्मित उत्पादों और कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार सातवें महीने दहाई अंक में बनी हुई है. इस साल सितंबर...

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खेती के संबंध में कुछ बड़ी भ्रांतियां और किसान आंदोलन पर उनका प्रभाव

-न्यूजक्लिक, भारतीय खेती के संबंध में अनेक भ्रांतियां हैं, जिन्हें अगर फौरन दूर नहीं किया जाता है तो उनका, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ इस समय चल रहे किसान आंदोलन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इनमें पहली भ्रांति तो इस धारणा में ही है कि किसानी खेती पर कार्पोरेट अतिक्रमण तो ऐसा मामला है जो बस कार्पोरेट अतिक्रमणकारियों और किसानों से ही संबंध रखता है। यह गलत है। किसानी खेती...

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कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-26) के तहत 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच चलने वाला 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अपनी निर्धारित समय-सीमा से एक दिन आगे तक चला। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने को अपने प्रयासों मे तेजी लाने के लिए अंततः इसमें ग्लासगो जलवायु समझौता (जीसीपी ) पर सहमति बनी। अंतिम सत्र में 197 देशों द्वारा तैयार जीसीपी में जिन सिद्धांतों का...

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