बाजार में मंदी का वातावरण है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि उसकी बिक्री 40 प्रतिशत कम हुई है. सूरत के टैक्सी वाले के ग्राहकों में कमी आयी है. अब उसकी टैक्सी माह में 6-7 दिन ही चलती है. बाकी खड़ी रहती है, चूंकि बाहर के व्यापारी कम ही आ रहे है. बाजार में मांग के दो स्रोत हैं- घरेलू एवं विदेशी. लेकिन इस समय दोनों...
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बाल श्रम, सरकार और समाज-- सुशील कुमार सिंह
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) संशोधन विधेयक-2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। संभव है कि आने वाले शीत सत्र में इसे संसद के समक्ष पेश किया जाएगा। यह बदलाव 1986 के कानून को न केवल परिमार्जित करने से संबंधित है, बल्कि चौदह से अठारह वर्ष की उम्र के किशोरों के काम को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी जा रही है।...
More »कल-कारखाने सुस्त, मगर बढ़ी महंगाई
नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही बार-बार विकास दर के साढ़े सात फीसद से ऊपर रहने का दावा कर रही हो, मगर अर्थव्यवस्था के तमाम मोर्चों से इसके पक्ष में कोई ठोस संकेत नहीं मिल रहे हैं। सरकार की तरफ से गुरुवार को जारी औद्योगिक उत्पादन और महंगाई के आंकड़ों से साफ है कि अर्थव्यवस्था में सुधार की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई की...
More »समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »रोशन दिवाली उदास दिया- आर के सिन्हा
एक बार नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपाल बता रहे थे कि वे भारत में पहली बार 1961 में दिवाली की रात मुंबई पहुंचे। हवाई अड्डे से होटल के रास्ते में उन्हें यह देख कर निराशा हुई कि यहां ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियां सजी थीं। उनके देश त्रिनिदाद एवं टुबैगो में दिवाली पर अब भी मिट्टी के दीए जलाने की रिवाज है। नायपाल ठीक ही कह रहे थे। मोमबत्ती जला...
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