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डब्ल्यूटीओ का खाद्यान्नों की सरकारी खरीद को उत्पादन के 15 फीसदी तक सीमित करने का प्रस्ताव

-गांव सवेरा,  नवंबर के अंत में विश्व व्यापार संगठन  (डब्ल्यूटीओ) की कृषि पर समझौते (एओए) को लेकर 12वीं मंत्रीस्तरीय सम्मेलन (एमसी 12) बैठक होने वाली है। एमसी12 के एजेंडा के दो प्रस्ताव देश के किसानों के घातक साबित हो सकते हैं। इसके एक एजेंडा प्रस्ताव में कहा गया है कि गरीबों के लिए सब्सिडी पर खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए और कम संसाधनों वाले किसानों की आजीविका सुरक्षा के लिए बनाये जाने...

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COP26: विश्व के नेताओं ने जंगलों की कटाई रोकने का संकल्प किया, इधर तमिलनाडु वन विभाग ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की

-गांव कनेक्शन, स्काटलैंड के शहर ग्लासगो में चल रहे 2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP26 का आज 12 नवंबर को समापन हो जाएगा। दुनिया के तमाम देश इसके परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन तमिलनाडु का वन विभाग इस दिशा में काम करने के लिए पहले से ही तैयार है। तमिलनाडु सरकार और उसके वन विभाग ने हाल ही में, अपने समृद्ध वन भंडार, वनस्पतियों और जीवों को सुरक्षित और...

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चीन और श्रीलंका के बीच 'ज़हरीले' खाद पर विवाद का पूरा मामला क्या है?

-बीबीसी, चीन से श्रीलंका आया एक कार्गो कहने के बावजूद श्रीलंकाई तट से हटने से मना कर रहा है. दरअसल चीन से एक ग़लत शिपमेंट श्रीलंका पहुंचने से यह पूरी समस्या खड़ी हुई लेकिन इसकी वजह से इन दो सहयोगी देशों के बीच एक कूटनीतिक खींचतान देखने को मिल रही है जिसमें न केवल एक बैंक को ब्लैकलिस्ट किया गया बल्कि किसानों और वैज्ञानिकों का एक समूह भी विरोध पर उतर आया...

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कैसे कर रहे हैं राजस्थान के ग्रामीण अपने सदियों पुराने तालाबों का संरक्षण

-इंडियास्पेंड, राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पानी का महत्व भगवान के समान है। यहां के ग्रामीण इस अनमोल संसाधन की एक-एक बूंद को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। राजस्थान के नागौर जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी को संरक्षित करने का सबसे आसान माध्यम तालाब हैं। इन तालाबों के बारे में उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इनमें से कई तालाब सदियों पुराने हैं और ग्रामीणों के प्रयास से ही...

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असम के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय – I

-न्यूजक्लिक, दुनियाभर में कोविड-19 के प्रसार ने एक प्रकार से भानुमति का पिटारा ही खोलकर रख दिया है, क्योंकि अधिकाँश देशों में मामलों की संख्या में दिन-दूनी रात-चौगुनी वृद्धि से निपटने के मामलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहद अपर्याप्त पाया गया था। कई देशों में मौतों को रोक पाना बेहद दुष्कर कार्य जान पड़ा। महामारी ने वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक हिमालय जैसी अलंघ्यनीय चुनौती पेश कर दी थी –...

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