एक ऐसे समय में जब अर्थजगत में बुद्धिमानी का पर्याय यह बन चला है कि अर्थसत्ता के खेल के लिए मैदान खुला छोड़ दिया जाय और सामाजिक-क्षेत्र पर होने वाले खर्चों में कटौती की जाय, एक रिपोर्ट का कहना है कि भुखमरी और खासतौर से बाल-कुपोषण मिटाने की दिशा में प्रयास करना अपने आप में बुद्धिमानी का काम है। रिपोर्ट में यूपीए सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार किए जाने वाले...
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थोड़ी खुशी ज्यादा गम- ।।प्रभात पटनायक।।
भूमि अधिग्रहण और विकास के शोर में हमारी जर्जर कृषि अर्थव्यवस्था भयानक संकट का सामना कर रही है, मगर वित्तमंत्री बजट में खेती-बाड़ी पर शोध के लिए 200 करोड़ की मामूली रकम का इंतजाम करके दूसरी हरित क्रांति का सपना देख रहे हैं. वित्त वर्ष 2012-13 का बजट कई वजहों से अहम माना जा रहा है. एक तरफ़ यूपीए सरकार चुनावी हार का सामना करने के बाद सियासी मोर्चे पर घिरी हुई...
More »गरीबों के पैसों से आंदोलन!- तवलीन सिंह
प्रधानमंत्री ने अपने खास उदारवादी अंदाज में गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को फटकार क्या लगाई कि हाय-दुहाई मच गई। वही संस्थाएं जो बेझिझक आरोप लगाती हैं राजनीतिकों पर, पत्रकारों पर, उद्योगपतियों पर और न जाने किस किस पर। जब उनकी बारी आई, तो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। क्या सिर्फ एनजीओ ही हैं इस विशाल देश में, जो दूध के धुले हैं? क्या उनसे इतना भी नहीं पूछा जा सकता कि...
More »भारत को 4.3 अरब डालर की सहायता देगा विश्व बैंक
वाशिगटन। विश्व बैंक ने भारत को गरीबी से लड़ने में मदद के लिए एक अनूठी एवं लचीली वित्तीय व्यवस्था के तहत 4.3 अरब डालर की सहायता देने की घोषणा की है। यह व्यवस्था इस तरह से डिजाइन की गई है कि पुनर्गठन व विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंक [आईबीआरडी] का शुद्ध ऋण 17.5 अरब डालर की सीमा के भीतर रहे। विश्व बैंक ने उधारी देने के लिए आईबीआरडी की...
More »कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)
बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...
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