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नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशनल स्कीम: 20 लाख युवाओं को करना था रोज़गार के लिए तैयार, हुए सिर्फ 2.90 लाख

नई दिल्ली: भारत वाकई दुनिया का एक अद्भुत देश है. यहां बेरोजगारी भी एक बहुत बड़ा रोजगार है. खासकर सियासत और नौकरशाही के लिए. बेरोजगारी न होती तो हजारों करोड़ रुपये का मनरेगा न होता और मनरेगा के नाम पर मची लूट न होती. एक ऐसी लूट, जिसने पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को सांस्थानिक स्वरूप दे दिया. बेरोजगारी न होती तो दो करोड़ नौकरी हर साल देने का वादा न होता...

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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सं​​पत्तियां बेचने की तैयारी में केंद्र सरकार

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से ऐसी संपत्तियों की सूची जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है जिन्हें बेचा जा सकता है. साथ ही उन्हें इसके लिए संभावित निवेशकों तथा बोलीदाताओं से बात शुरू करने को भी कहा गया है. एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों के पास विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) के लिए गैर-प्रमुख संपत्तियों को सुपुर्द कर...

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सीजेआई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप पर जेटली ने कहा, यह न्यायपालिका के साथ खड़े होने का समय

नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप के एक दिन बाद रविवार को जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘यह समय न्यायपालिका के साथ खड़े होने का है.' वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के ख़िलाफ़ अपुष्ट आरोपों का समर्थन...

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प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत दो पायदान फिसला, चुनाव का समय पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक

नई दिल्लीः मीडिया की आजादी से संबंधित ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' की सालाना रिपोर्ट में प्रेस की आजादी के मामले में भारत दो पायदान खिसक गया है. 180 देशों में भारत 140वें स्थान पर है. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में भारत में चल रहा चुनाव प्रचार का यह दौर पत्रकारों के लिए खासतौर पर सबसे ख़तरनाक वक्त के तौर पर चिह्नित किया गया है. वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 यानी ‘विश्व प्रेस...

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भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक: संयुक्त राष्ट्र

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली 1984 की भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की ‘सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं' में से एक है. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि हर साल पेशे से जुड़ी दुर्घटनाओं और काम के चलते हुईं बीमारियों से 27.8 लाख कामगारों की मौत हो जाती है. इसके अलावा 374 मिलियन मजदूर गैर औद्योगिक...

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