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मप्र की महिलाओं पर भी रोज मंडराता है 'यूपी' जैसा खतरा!

घरों में शौचालय न होने से बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं, यूपी कांड इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। मप्र में करोड़ों महिलाएं रोज सुबह बुरी नजरों से गुजरती हैं।पढ़िए एक विश्लेषण... भोपाल। यूपी में घर से शौच करने निकलीं दो लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्या ने समूचे देश को हिलाकर रख दिया है। समाजसेवी मानते हैं कि शौचालय न होने के कारण भी यौन शोषण के मामले बढ़े हैं।...

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गरीबी और प्रधानमंत्री मोदी- विकास नारायण राय

जनसत्ता 30 मई, 2014 : भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता के बाद मोदी ने संसद के केंद्रीय हाल से संबोधन में अपनी सरकार को गरीबों, युवाओं और स्त्रियों को समर्पित करार दिया। कॉरपोरेट जगत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चहेते ‘चायवाले’ के लिए इस दिखावे को अधिक दिनों तक निभाना टेढ़ी खीर ही होगी। गरीबों को लेकर मोदी का नवउदारवादी ट्रैक रिकार्ड सर्वाधिक संदेहास्पद रहा है।...

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जल प्रबंधन से बन गयी अंतरराष्ट्रीय पहचान- राहुल सिंह

वे अखबार नहीं पढ़ सकते. दो-चार पांच पंक्तियां लिख नहीं सकते. अगर कोई सामान्य बात भी लिखवाना हो तो किसी दूसरे की मदद लेते हैं. किसी तरह अपना हस्ताक्षर कर लेते हैं या एकाध टूटी-फूटी पंक्ति लिख लेते हैं. लेकिन उन पर दुनिया के प्रख्यात विश्वविद्यालय कैंब्रिज के छात्र भी शोध करते हैं. अपनी पीएचडी की थिसिस में उनके कार्यो व पर्यावरण संरक्षण के साथ ग्रामीण विकास के लिए उनके...

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जनता ने जिन्हें संसद से सड़क तक पहुंचाया- संदीप जोशी

संसदीय बहुमत पाकर भाजपा सरकार बना चुकी है। लेकिन अपन को हारने वालों के लिए हरिनाम सूझ रहा है। जनता ने प्रगतिवादी, विकासवादी बहुमत दिया है और अपन हार की नकारात्मकता देखे जा रहे हैं? क्योंकि सामाजिक अवरोधों को समझ कर ही अविरल विकास किया जा सकता है। इसलिए हारने में ही जीवन का सीखावन है। बेशक जीते को जग भला हो, शांति तो हरिनाम में ही है। इसलिए हारने वाले...

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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह

जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...

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