ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...
More »SEARCH RESULT
नरेगा में एक लाख रुपए की क्षतिपूर्ति
नई दिल्ली. केंद्र मनरेगा के तहत काम करने वालों की किसी दुर्धटना की स्थिति में मृत्यु हो जाने अथवा स्थायी अपंगता पर मुवाअजा राशि बढ़ाकर एक लाख रुपए करने की सिफारिश पर गंभीरता से विचार कर रहा है। मनरेगा के तहत मौजूदा मुवाअजा राशि 25 हजार रुपए है। मनरेगा पर अमल की समीक्षा करने वाली संसदीय लोक लेखा समिति ने अपनी आठवीं रिपोर्ट में सरकार से कहा है क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाई जाए। समिति ने इसके लिए...
More »नरेगा श्रमिकों को कार्यस्थल पर मिलेगा भुगतान
चित्तौडग़ढ़, २३ मई (प्रासं)। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने में देरी व अनियमितताओं की समस्या से जल्द राहत मिलेगी। श्रमिकों के पारिश्रमिक का भुगतान अब डाकघर से सीधा कार्यस्थल पर लाया जाकर मौके पर हाथों हाथ बांट दिया जाएगा। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने के लिए अब तक कई कई दिन इंतजार करना पड़ता था। सकरार की ओर से भुगतान की व्यवस्था डाकघर एवं बैंक के माध्यम से की हुई है। इसके लिए श्रमिकों के खाते भी बैंक एवं...
More »मजदूरी भुगतान के लिए बीएओ को बनाया बंधक
हसनपुरा/सिसवन (सिवान)। मनरेगा श्रमिकों की बकाया मजदूरी का भुगतान न किए जाने तथा कूपनों की स्वीकृति के बावजूद राशन और किरासन न देने से आक्रोशित खेमस कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को पूर्वाह्न हसनपुरा प्रखंड में पदस्थापित प्रखंड कृषि पदाधिकारी (बीएओ) एके राम समेत चार कर्मियों को बंधक बना प्रखंड कार्यालय में तालाबंदी कर दी। स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप के बाद खेमस कार्यकर्ताओं ने कर्मियों को मुक्त किया। पूर्व निर्धारित घेरा डालो, डेरा डालो कार्यक्रम के...
More »बूढ़ी आंखों में नहीं रही जीने की चाह
अमृतसर, [रमेश शुक्ला 'सफर']। वैसे तो डीसी कार्यालय में रोजाना काफी गिनती में फरियादी पहुंचते हैं, लेकिन सोमवार को पहुंची रमदास क्षेत्र की अतर कौर ने डीसी काहन सिंह पन्नू के पास अनोखी फरियाद लगाई। उसने कहा या तो सरकार उसे रोटी दे या फिर मौत। अतर कौर की बूढ़ी आंखों में गरीबी के चलते अब जीने की तमन्ना नहीं रही। उसे अपने जन्म दिन की तारीख तो याद नही, लेकिन उसे यह पता...
More »