अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन(मध्यप्रदेश)। प्रदेश के कई शिक्षकों ने लंबे अरसे से मंत्री-सांसद और विधायकों का दामन थाम लिया है। इन शिक्षकों की अपने मूल शैक्षणिक कार्य के बजाए माननीयों की चाकरी में रुचि है। खासबात तो यह है कि मंत्री, सांसद और विधायक भी अपने निजी स्टाफ में ज्यादातर शिक्षकों को तरजीह देते हैं। शिक्षकों के स्कूल छोड़ने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूल शिक्षकविहीन हैं और पूरा...
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रांची के डॉ मुखर्जी जो पांच रुपये में करते हैं मरीजों का ईलाज !
महंगे ईलाज के इस युग में कुछ फरिश्ते अभी भी है, जो भगवान बनकर गरीबों के ईलाज के लिए तत्पर है। इनके लिए डॉक्टर की उपाधि भगवान का दिया एक तोहफा है जो जरूरतमंदों की भलाई करने के लिए है, ना कि सिर्फ और सिर्फ कमाई करने के लिए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे ही चिकित्सकों में से एक है जिन्होनें अपने पेशे के साथ- साथ सामाजिक कर्तव्य को आज...
More »रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम
किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....
More »अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से
बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...
More »उपलब्धियां बेमिसाल, फिर भी बाकी हैं सवाल- राजकुमार सिंह
आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
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