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लॉकडाउन: खाली पेट ऑटो से 1400 किलोमीटर का सफ़र

न्यूजलॉन्ड्री, तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ाने के बाद गृह मंत्रालय ने मजदूरों को शहर से उनके घरों तक जाने का आदेश दे दिया है. जिसके बाद कई राज्य सरकारें मजदूरों को बसों और ट्रेनों के जरिए अपने राज्य में वापस बुला रही हैं, लेकिन सरकार द्वारा देरी से लिए गए इस फैसले ने मजदूरों को ऐसे हाल में पहुंचा दिया जिसे वे कभी याद करना नहीं चाहेंगे और भूल भी नहीं सकते. लॉकडाउन...

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लॉकडाउन: ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने रोजी-रोटी का संकट, 10 राज्यों में गाँव कनेक्शन ने की बात

-गांव कनेक्शन, ट्रेन और बसों में मांगकर, शादी-विवाह जैसे कार्यक्रमों में नाच गाकर अपना घर चलाने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने अब रोजी-रोटी का संकट आ गया है। लॉकडाउन से जब आज हर कोई घरों में कैद है। दिहाड़ी पर काम करके खाने वाले लोगों के पास राशन नहीं है। ट्रांसजेंडर भी उसी में शामिल हैं। महामारी से ट्रेन और बसें बंद हो गईं हैं, जो ट्रांसजेंडर ट्रेनों और बसों में...

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कोविड-19 संक्रमण की आपराधिक जवाबदेही तबलीग़ी जमात के माथे ही क्यों है?

-द वायर,  कोविड-19 के बाद दुनिया पहली जैसी नहीं रहेगी. ऐसे में जबकि अपने अत्याधुनिक स्वास्थ्य ढांचे के बावजूद पश्चिम के विकसित देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. यह जाहिर है कि मानवता को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति से निपटने के नए तरीकों की खोज करनी होगी. ख़ासतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका को इस बात का एहसास जरूर हो रहा होगा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर इसके द्वारा...

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महामारी के बाद निवेश का पहिया, राजस्व की चरखी और रोजगारों की मशीन कैसे चलेगी

-इंडिया टूडे, ताली-थाली और दीया-मोमबत्ती से होते हुए कोविड लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह आने तक केंद्र सरकार थकने-सी लगी थी. यही मौका था जब भारतीय संविधानसभा की वह जद्दोजेहद कारगर नजर आने लगी, जिसके तहत राज्यों को पर्याप्त शक्तियों से लैस किया गया था. आजादी के बाद सबसे बडे़ संकट में भारत के राज्य अमेरिका की तरह वहां के राष्ट्रपति का सिरदर्द नहीं बने थे बल्कि संघीय ढांचे की ताकत के...

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ट्विटर पर छाया किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति का अभियान, लॉकडाउन में राहत की मांग

-आउटलुक,  देश कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से लड़ रहा है तथा इस लड़ाई में देश का किसान अग्रिम मोर्चे पर खड़ा है क्योंकि उन्हीं की बदौलत देश में खाद्यान्न का भरपूर भंडार है जिस कारण केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें आम आदमी को खाद्यान्न मुफ्त या फिर सस्ती दर पर आवंटन कर पा रही हैं। अत: देशभर कि किसानों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने...

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