भारत में घोषित आर्थिक सुधारों का इतिहास 24 साल पुराना है, लेकिन इन 24 वर्षों में भी सुधारों को लेकर जो विवाद हैं, वे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून, जीएसटी, डायरेक्ट टैक्स (जैसे गार अथवा पिछली तिथि से लागू होने वाले कर) विदेशी पूंजी निवेश इत्यादि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आज भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब डॉ. मनमोहन...
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हमारी संवेदना का अकाल-- योगेन्द्र यादव
अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
More »CG बोर्ड की किताब बता रही 'कमाऊ महिलाएं बढ़ा रहीं हैं बेरोजगारी की जमात'
रायपुर/नई दिल्ली। देश में बेरोजगारी की समस्या को कामकाजी महिलाएं बढ़ावा दे रही हैं। कमाऊ महिलाएं ही बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं.. ऐसा छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CGBSE) की दसवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में लिखा हुआ है। आर्थिक समस्याओं और चुनौतियों पर किताब में लिखा गया है कि आजादी के बाद देश में बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ गया है, क्योंकि महिलाओं...
More »उद्योगों को 90% तक रियायत पर मिलेगी जमीन
भोपाल। राजधानी में स्मार्ट सिटी नए उद्योग और निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार ने जमीन की कीमत पर 90 फीसदी तक रियायत दी है। इसका फायदा बगरोदा व आचारपुरा जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों में दो साल पहले बुकिंग कर चुके उद्योगपतियों को भी मिलेगा। यहां अब घटी हुई नई कीमतों पर जमीन का पजेशन दिसंबर तक मिलेगा। इन क्षेत्रों में जनवरी 2016 से इंडस्ट्रीज लगना शुरू हो जाएगी,...
More »ऐसे लौटा सकते हैं हिमालय का वैभव- डा अनिल जोशी
भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है, जिसे प्राकृतिक संसाधनों का असली वरदान प्राप्त है। हिमालय से लेकर समुद्र तक और मरुस्थल से लेकर दलदली क्षेत्र तक यह देश विशिष्ट परिस्थितियों का धनी है। इन सभी में हिमालय को सबसे ऊंचा स्थान मात्र इसकी ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि इसकी राष्ट्रसेवा के लिए प्राप्त है। हिमालय देश के नौ राज्यों और कुल भूमि के 17 प्रतिशत क्षेत्र में...
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