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गोबर के बाद अब गोमूत्र भी खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार, हरेली तिहार होगी शुरूआत

गाँव कनेक्शन,26 जुलाई गोबर खरीदने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार गोमूत्र भी खरीदेगी, 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले हरेली तिहार के दिन इसकी शुरूआत की जाएगी और इसी दिन से गोमूत्र की खरीदारी भी शुरू की जाएगी। छत्तीसगढ़ में गोमूत्र का इस्तेमाल अब इको फ्रेंडली खाद के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत किसानों से इसकी खरीद की जाएगी। इसके जरिए किसानों...

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जनगणना न 2021 में हुई, न 2022 में होगी- सरकार ने ‘इसे रोक दिया है और अभी कोई समयसीमा तय नहीं’

दिप्रिन्ट,26 जुलाई  केंद्र सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया कि जनगणना—जो पिछले साल होनी थी लेकिन कोविड महामारी के कारण टाल दी गई थी—को इस साल भी रोक दिया गया है. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि ‘अभी तक यह तय नहीं किया गया है कि जनगणना कब कराई जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक, जनगणना से पहले कई आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए समयसीमा के विस्तार—जिसमें प्रशासनिक सीमाओं...

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छत्तीसगढ़: 121 आदिवासियों ने उस अपराध के लिए 5 साल की जेल काटी जो उन्होंने किया ही नहीं

न्यूज़लॉन्ड्री, 25 जुलाई  छत्तीसगढ़ के बुर्कापल में एक हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान मारे गए थे. इस मामले में पुलिस ने माओवादियों की मदद करने के संदेह में 121 आदिवासियों को गिरफ्तार कर लिया था. अब इसी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कोर्ट ने पांच साल बाद अपना फैसला सुनाया है. दंतेवाड़ा की कोर्ट ने सभी को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है. पांच साल की सजा किस बात...

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बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

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100 रुपये में डीजल, 250 रुपये घंटा सिंचाई दर; सावन में खेतों में उड़ रही धूल

जनचौक, 25 जुलाई  प्रयागराज। सावन के महीने में यूपी में खेतों में धूल उड़ रही है। पिछले साल बारहों महीने बेतहाशा बरसने वाले बादल इस साल मानसून में भी नहीं आये। आषाढ़ बीत गया। खेतों में बेहन रोपनी की राह देखते-देखते चेहरे पत्थर हो चले हैं। रोपनी गीत स्त्रियों के गलों में ही दबे रह गये। जो लोग कहीं से पानी का जुगाड़ करके धान की रोपाई कर भी दिये हैं...

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