अजमेर.जिले की अरांई पंचायत समिति की प्रधान पारसी देवी, जहाजपुर प्रधान सीता देवी गुर्जर व आसींद की प्रधान देबी भील अपने अधिकारों के बारे में तो अनजान हैं ही, उन्हें पंचायतीराज विभाग के मुखिया पंचायतीराज मंत्री का नाम तक मालूम नहीं है? एक को इसके बारे में जानकारी नहीं। दूसरी बोलती है, पूरा नाम पता नहीं पर शायद कोई मालवीय हैं और तीसरी प्रधान ने पंचायतीराज मंत्री का नाम बताया, राजेंद्र सिंह राठौड़ । ...
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दर्जनों महिलाओं की कोख पर बेशर्म डॉक्टरों ने पोती कालिख
रायपुर. पैसों के लालच में जरूरत न होते हुए भी महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले डॉक्टरों की करतूत स्वास्थ्य विभाग के सामने उजागर हो गई। गुरुवार को विभाग के डॉक्टरों ने अभनपुर के मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांवों में पीड़ित महिलाओं की जांच की। इस दौरान 25-30 साल की ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जिनके गर्भाशय केवल पैसे कमाने के लिए निकाले गए। डॉक्टर इस बात से भी हैरान थे कि किसी भी महिला...
More »नहीं बन रहे खराब नलकूप
रामपुर मथुरा (सीतापुर), 18 मई (जाका) : विकास क्षेत्र में खराब नलकूपों को ठीक कराने में विभाग रुचि नहीं ले रहा। इससे किसान सिंचाई को लेकर परेशान रहते हैं। क्षेत्र में अधिकांश नलकूप खराब हैं। क्षेत्र में जरावन, राजाबाग, बांसुरा, लोधौनी, पाल्हापुर, समरदहा, पिपरी, मीरानगर, समदा व इटिया में सरकारी नलकूप है। आपरेटर रामभजन ने बताया कि 85 राजाबाग की नलकूप ट्रांसफार्मर जल जाने से 2007 से बंद है। इतने लंबे...
More »पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में ही बंटेगा राशन
सीतापुर, 17 मई (जाका): राशन का वितरण तभी होगा जब पर्यवेक्षक मौजूद होंगे। बीपीएल, अंत्योदय व एपीएल कार्ड धारकों को हर माह पर्यवेक्षक की मौजूदगी में राशन वितरण होना चाहिए, लेकिन अधिकांश दुकानों पर पर्यवेक्षकों की गैरमौजूदगी में वितरण किए जाने शिकायतों के मद्देनजर यह निर्देश दिए गए हैं। जिले में 2 लाख 92 हजार 909 बीपीएल व अंत्योदय तथा 7 लाख 22 हजार एपीएल कार्ड धारक हैं। इन कार्ड धारकों को...
More »गाय के गोठे में शिक्षा ले रहे आदिवासी बच्चे- प्रदीप घुमडवार
कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां...
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