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क्या स्कूलों में सवा तीन रुपये में मिलेगा पौष्टिक भोजन?

नयी दिल्ली : मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के मद में प्रति छात्र महज 3.34 रुपये और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के मद में प्रति छात्र पांच रुपये दिये जाते हैं जबकि प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर देशभर में रसोई घर सह स्टोर के निर्माण का 31 प्रतिशत कार्य अभी तक शुरु नहीं किया गया है. वहीं, केंद्र सरकार ने पिछले ढाई वर्ष में देश...

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महान लोकतंत्र की सौतेली संतानें- अतुल चौरसिया

नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...

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क्या स्कूलों में सवा तीन रुपये में मिलेगा पौष्टिक भोजन?

नयी दिल्ली : मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के मद में प्रति छात्र महज 3.34 रुपये और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के मद में प्रति छात्र पांच रुपये दिये जाते हैं जबकि प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर देशभर में रसोई घर सह स्टोर के निर्माण का 31 प्रतिशत कार्य अभी तक शुरु नहीं किया गया है. वहीं, केंद्र सरकार ने पिछले ढाई वर्ष में देश...

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कहां पहुंची यह मूक क्रांति!- कमल नयन चौबे

प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है.   लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...

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जाति की नई राजनीति- बद्रीनारायण

जनतंत्र सत्ता एवं सामाजिक संरचना के पिरामिड में उथल-पुथल मचाता रहता है। कई बार कई समाजों में जो सामाजिक समूह नीचे रहे हैं, उन्हें वह ऊपर, और जो ऊपर रहे हैं उन्हें वह नीचे ला देता है। लेकिन खासकर ‘भारतीय जनतंत्र' से सामाजिक पिरामिड के ‘ऊपर' और ‘नीचे' को समाप्त कर समानता लाने की अपेक्षा अब भी दूर की कौड़ी ही है। भारतीय समाज एवं राजसत्ता के शीर्ष पर ब्राह्मण और...

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