नई दिल्ली। बिहार और पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से किसी भी चुनाव में शिक्षकों को निर्वाचन ड्यूटी पर तैनात नहीं करने का आग्रह किया है। राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर कहा है कि बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कई चरणों में चुनाव संपन्न कराए...
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अब बलात्कार नहीं होगा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में अब 'बलात्कार' नहीं होगा। आपका चौंकना लाजमी है। लिहाजा, यह बता दें कि भारत सरकार ने 150 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता [आईपीसी] में संशोधन का फैसला किया। इसके मुताबिक आईपीसी से 'बलात्कार' शब्द को हटा दिया जाएगा। इसकी जगह 'यौन उत्पीड़न' शब्द का इस्तेमाल होगा ताकि यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से कानून का लाभ मिल सके। उधर, सोमवार को लोक सभा में अपराध...
More »गढ्डे के पानी से प्यास बुझा रहे 200 परिवार
जमशेदपुर [मनोज सिंह]। भले ही शुद्ध पेयजल हर नागरिक का मौलिक अधिकार हो, लेकिन शहर के पाश इलाके भाटिया बस्ती से सटी बागेबस्ती में रहने वालों के लिए यह मजाक बनकर रह गया है। इस बस्ती के 200 से अधिक परिवारों के लिए शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जीवनदायिनी खरकई नदी का दुर्गध व कीड़ा युक्त पानी बजाए जीवन देने के बीमारी का कारण बन गया है। बस्ती में उत्क्रमित मध्य विद्यालय...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
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