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खुद पढ़ी और औरों को बाँटने लगी विद्या का दान

गृहनगर लक्ष्मणगढ़.संघर्ष, मुकाम और प्रेरणा। 60 साल की हरप्यारी देवी की जिंदगी में यही है। नौ साल की उम्र में विवाह हुआ और तीन महीने बाद ही पति का देहांत हो गया। तमाम कठिनाइयों के बावजूद हरप्यारी देवी ने हार नहीं मानी। मजबूत इरादों के साथ चुनौतियों को स्वीकार किया और उस जमाने की परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की। इन्होंने हिंदी कोविद परीक्षा पास करने में सफलता हासिल कर ली। इसके बाद...

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दयनीय दशा में बच्चे- स्टेट ऑव द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2011

अगर जानना चाहें कि कोई देश प्रगति के किस मुकाम तक पहुंचा है तो पैमाना बनाइए उस परिवेश को जिसमें वहां बच्चे बड़े हो रहे हैं। परिवेश कुपोषण, भुखमरी, अस्वास्थ्यकर अड़ोस-पड़ोस और जबरिया बाल-मजदूरी का हो तो देश को प्रगति के क्रम में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।द स्टेट ऑव वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है कि विश्व के भावी नागरिकों के हक में बड़ा कम निवेश किया जा रहा है।...

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बस्तर के आदिवासियों को पाच रुपये किलो चना

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य दुकानों से गरीबी रेखा श्रेणी के सभी परिवारों को हर महीने प्रति परिवार पाच रुपये में एक किलो देशी चना देने की घोषणा की है। सिंह ने शनिवार को राजधानी रायपुर के नवीन विश्राम भवन सभागृह में आयोजित बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में यह...

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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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सरकार के इंतजार में कुंवारी रह गईं हमारी बेटियां

रांची। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सरकार ने 2010-11 में बीपीएल परिवारों की 10 हजार बेटियों की शादी कराने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह मात्र एक हजार लड़कियों के हाथ ही पीले करा सकी। नौ हजार सिर्फ इंतजार करती रह गईं। इससे अभिभावकों को उनके विवाह के लिए जमीन बेचनी पड़ी या कर्ज लेना पड़ा। कई तो पैसे के अभाव में अब तक कुंवारी हैं। इस मद में 10 करोड़...

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