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विश्व जल दिवस : पांच साल में बचाया पांच करोड़ लीटर पानी

दुनियाभर के विद्वानों का मानना है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने टाउनशिप की प्लानिंग ही इस तरह की, जिससे रोजाना कम से कम 30 से 40 फीसदी पानी बचाया जा सके। काफी रिसर्च करना पड़ी। अहमदाबाद से लाखों का प्लांट अरेंज किया। तमाम उपायों से हम करीब पांच साल में हम पांच करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बचाने में...

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कहीं पत्रकारिता की शक्ल अचानक बदलने तो नहीं लगी...?-- सुधीर जैन

पत्रकारिता पर क्या वाकई विश्वसनीयता का संकट आ गया है...? यह सवाल विद्वान लोग उठाते थे, अब जनसाधारण में ये बातें होने लगी हैं। पहले और अब में एक फर्क यह भी है कि पहले अपनी विश्वसनीयता के कारण पत्रकारिता जनता पर जितना असर डालती थी, अब उतना नहीं डाल पाती। अब तो मीडिया का पाठक या दर्शक हाल के हाल उसकी ख़बरों और खयालों पर टीका-टिप्पणी करने लगा है।...

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सवाल विज्ञान-मुखी बनने का है-- प्रमोद जोशी

विजय माल्या के पलायन, देशद्रोह और भक्ति से घिरे मीडिया की कवरेज में विज्ञान और तकनीक आज भी काफी पीछे हैं. जबकि इसे विज्ञान और तकनीक का दौर माना जाता है. इसकी वजह हमारी अतिशय भावुकता और अधूरी जानकारी है. विज्ञान और तकनीक रहस्य का पिटारा है, जिसे दूर से देखते हैं तो लगता है कि हमारे जैसे गरीब देश के लिए ये बातें विलासिता से भरी हैं. नवंबर...

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पत्रकारिता का सुंदरकांड- नासिरुद्दीन

पत्रकारिता के बारे में समालोचना करते वक्त डर क्यों लगता है? क्या इसलिए कि लोकतंत्र के खंभों को पाक दामन माना जाता है? या इसलिए कि ये खंभे काफी ताकत रखते और समय-समय पर ताकत दिखाते भी हैं? अब यह तय करना मुश्किल होता जा रहा है कि चौथा खंभा, लोकतंत्र का भार उठाये है या वही लोकतंत्र पर भारी पड़ रहा है. चौथा खंभा यानी पत्रकारिता यानी अखबार, न्यूज...

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श्रीश्री ने कहा- हम असमर्थ हैं, इतने जल्दी नहीं भर सकते पांच करोड़ का जुर्माना

श्रीश्री रविशंकर की संस्‍था आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम पर लगे पांच करोड़ के जुर्माने पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में आज हुई सुनवाई में संस्‍था ने साफ कर दिया है कि वो जुर्माने की राशि को इतनी जल्दी नहीं भर सकते। एओएल ने एनजीटी को जवाब देते हुए कहा है कि वह एक चैरिटेबल संस्‍था है जिसके लिए दो दिन के अंदर पांच करोड़ का इंतजाम करना आसान नहीं है। संस्‍था...

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