मुज़फ़्फ़रनगर दंगों ने हज़ारों लोगों को शरणार्थी बना दिया। राहत कैंपों में पड़े लोगों की दुनिया चंद घंटों में बदल गई। शामली के लिसाढ़ गांव के मोहम्मद यासीन कांधला के एक राहत शिविर में रह रहे हैं। यासीन राहत कैंपों के शरणार्थियों की कहानी बयां कर रहे हैं। उनकी बातें समाज और सरकार के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं वे कहते हैं, ''हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे...
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सुखाड़ की घोषणा से किसानों को लाभ नहीं
पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि बिहार में सुखाड़ की स्थिति काफी गंभीर है. सरकार को एक माह पहले ही सुखाड़ घोषित करना चाहिए था. अब इससे किसानों को कोई खास फायदा नहीं होनेवाला है. वह केंद्र से सुखाड़ की स्थिति से निबटने के लिए विशेष पैकेज देने की मांग करेंगे. जल्द ही केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम से इस मसले पर बात...
More »केंद्रीय परियोजनाओं को भूअधिग्रहण लॉ से बाहर करने का विरोध
विरोध प्रावधान का नये कानून के बाद जो आर्थिक बोझ बढ़ेगा उसका केंद्रीय परियोजनाओं पर असर नहीं किंतु एक साल के अंदर इन सभी परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण पूरा करना होगा इस समय सीमा के बाद इस क्षेत्र के परियोजनाओं पर भी नया कानून ही लागू होगा केंद्र की व्यवस्था, नए बिल का भार तुरंत न पड़े मध्य प्रदेश सरकार ने नये भूमि अधिग्रहण कानून के...
More »स्त्रीविरोधी हिंसा की जमीन- विकास नारायण राय
जनसत्ता 12 सितंबर, 2013 : सोलह दिसंबर के दिल्ली के चर्चित बलात्कार कांड की बाबत अदालती फैसला आ गया है। इस फैसले के बरक्स स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा ज्यों की त्यों जारी है। सारे समाज को उद्वेलित करने वाले इस कांड के बाद यौनहिंसा से संबंधित कानूनों की समीक्षा की जरूरत महसूस हुई और इसके लिए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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