SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 867

विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

More »

मिश्रित खेती को बचाने की जरूरत: पीएम

पंतनगर [जागरण संवाददाता]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों का संरक्षण और मिश्रित खेती की पद्धति को बचाने और इसके विकास की आवश्यकता है। उन्होंने मुख्य फसल के साथ अन्य फसलों को बचाने के लिए जैव विविधता को उत्तम उपाय बताते हुए इसको बढ़ावा देने और शोध पर बल दिया। वे शनिवार को गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 26 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित...

More »

गन्नौर में 830 करोड़ से बनेगी फल मंडी

चंडीगढ़,: सोनीपत जिले के गन्नौर में 830 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 537 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में एक अन्तरराष्ट्रीय फल एवं सब्जी मार्केट विकसित की जाएगी। हरियाणा ऐसी मार्केट वाला देश का पहला राज्य होगा। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड तथा सैमारिस ग्रेसार्ड कन्सल्टेट्स, फ्रांस के बीच बृहस्पतिवार को यहां मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर हरियाणा राज्य कृषि...

More »

दाल से टूटता रोटी का नाता

नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...

More »

जैविक कृषि पद्धति अपनाने का आह्वान

शिमला : किसानों को अब परंपरागत खेती की ओर मुड़ना ही होगा। यदि समय रहते किसानों ने पुरानी कृषि पद्धति को नहीं अपनाया तो भविष्य में इसके भयावह परिणाम भुगतने होंगे। कृषि पद्धति ही नहीं किसानों को खेती में विविधता भी लानी होगी क्योंकि अधिक रसायन के प्रयोग के कारण हिमाचल की मिट्टी से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। विकसित देश अब भारत में की जाने वाली परपंरागत कृषि...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close