कोई एक साल पहले जब स्मृति ईरानी को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया था, तो मैं उनकी नियुक्ति पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले लोगों में शामिल नहीं था। मैंने यूपीए सरकार के ऐसे विदेशी डिग्रीधारी एचआरडी मिनिस्टरों को देखा था, जिन्होंने अपने विभागीय दायित्वों में न के बराबर दिलचस्पी दिखाई थी। उनकी तुलना में स्मृति ईरानी कहीं ऊर्जावान और सक्रिय नजर आती थीं। उन्हें देखकर उम्मीद जगती थी कि...
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शिक्षक नहीं लिख सका गाय पर निबंध
श्रीनगर। बेशक वह गाय पर निबंध की दस पंक्तियां नहीं लिख पाया और न चौथी कक्षा के गणित के सवाल हल कर पाया, लेकिन उसने भरी अदालत में राज्य में आरईटी शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले और चहेतावाद की पोल जरूर खोल दी। अदालत ने भी इसका कड़ा संज्ञान लिया और राज्य सरकार को एक समिति के गठन का निर्देश देते हुए कहा कि यह उन सभी शिक्षकों का स्क्रीनिंग...
More »सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश
अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...
More »बीमारी नयी नहीं, जड़ पर चोट की जरूरत- कृष्ण कुमार
वसंत के मौसम में परीक्षा में नकल की बातें अक्सर सामने आती हैं. जैसे ही परीक्षा का मौसम का खत्म होता है, सबकुछ सामान्य हो जाता है. अब जिस व्यवस्था में पढ़ाई का एक मात्र लक्ष्य परीक्षा पास करना हो, और हमने उसी तरह की परीक्षा प्रणाली भी विकसित की हो जिसमें ज्ञान अजिर्त करना छात्रों का उद्देश्य न हो, बल्कि परीक्षा में अधिक अंक लाना ही एकमात्र उद्देश्य हो,...
More »भाषाई मानवाधिकार का मसला - लाल्टू
मराठी साहित्य में अपने योगदान के लिए इस साल ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले भालचंद्र नेमाड़े ने कहा है कि अंगरेजी की वजह से भारतीय भाषाएं खत्म हो रही हैं। वे इससे भी आगे बढ़ कर यहां तक कह गए हैं कि हमें अंगरेजी को हटाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। सलमान रुश्दी और सर विदिया नायपॉल का जिक्र करते हुए नेमाड़े ने कहा कि भारतीय भाषाओं में जो लिखा...
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