नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार का भंडाफ़ोड करने वालों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देने वाली सरकार को ‘गूंगी और बहरी’ करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आज जंतर-मंतर पर एक दिवसीय उपवास के दौरान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के पास दो विकल्प हैं.‘‘लोकपाल लाओ या सत्ता छोड़ो.’’ लोकपाल आंदोलन में नयी जान फूंकने का प्रयास करते हुए हजारे ने...
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मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना ने दी ‘बड़े आंदोलन’ की धमकी
नयी दिल्ली, 16 मार्च (एजेंसी) मजबूत लोकपाल विधेयक के लिए ‘बड़ा आंदोलन’ छेड़ने की धमकी देते हुए गांधीवादी समाज सेवक अन्ना हजारे ने आज कहा कि अगर सरकार भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कड़ा कानून नहीं बनाती तो उसे जाना होगा। अन्ना ने कहा कि वह वर्ष 2014 में होने वाले अगले लोकसभा चुनावों तक मजबूत लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन करेंगे और अगर तब तक कानून नहीं बनाया...
More »प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी
अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...
More »नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी
बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...
More »प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी
अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...
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