भारत में 'रिकॉर्ड्स' बनाने या रखने का बहुत शौक है. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में घुसने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं. लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ जाते हैं, पांच कुंतल का लड्डू बनाते हैं, तो दस फुट की अपनी मूंछ बढ़ा लेते हैं. आजकल भारत सरकार एक और रिकॉर्ड की तलाश कर रही है- सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था. और पिछले कुछ सालों में इस रिकॉर्ड...
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साइबर शोहदों से किनारा कीजिए-- शशि शेखर
सरकार लोगों को मुझसे प्रेम करने के लिए तैयार नहीं कर सकती, मगर भीड़ को मेरी जान लेने से जरूर रोक सकती है। तफरीहन, यूरोप की हसीन वादियों में घूम रहे मेरे एक आत्मीय को पिछले दिनों मार्टिन लूथर किंग जूनियर के ये शब्द बार-बार याद आए। वजह? उनसे बार-बार घुमा-फिराकर पूछा गया कि आप हिन्दुस्तानी क्या बलात्कारी और रक्त पिपासु हैं? जवाब में उन्होंने पुरातन संस्कृति से लेकर नई...
More »चिंतित करतीं तीन घटनाएं-- आशुतोष चतुर्वेदी
पिछले दिनों तीन गंभीर घटनाएं हुईं. ये घटनाएं हम सबके लिए चिंताजनक हैं, क्योंकि ये संकेत देती हैं कि देश किस दिशा में जा रहा है. ये घटनाएं बताती हैं कि अविश्वास का भाव कितने गहरे तक जा पहुंचा है. इन घटनाओं से सीधे तौर से हम और आप जैसे आम लोग जुड़े हैं, प्राथमिक रूप से इनसे कोई राजनेता नहीं जुड़ा है. पहली घटना में ईद मनाने के बाद...
More »अंतहीन अत्याचार का वह काला दौर - ए. सूर्यप्रकाश
जून का महीना झुलसाती गर्मी के साथ इतिहास की कुछ दर्दनाक यादों को भी दोहराता है। 1975 में 25 जून को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर निरंकुश आपातकाल थोपा था। इसके साथ ही जीवंत लोकतंत्र पर तानाशाही हावी हो गई थी। इस तानाशाही ने न केवल नागरिकों के मूल अधिकार निलंबित किए, बल्कि उन्हें जीवन के अधिकार से भी वंचित किया। यदि हम अपने लोकतांत्रिक जीवन को सुरक्षित रखना...
More »शिक्षा की चिंताजनक स्थिति-- आशुतोष चतुर्वेदी
किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति उस देश की शिक्षा पर निर्भर करती है. शिक्षित समाज ही आगे बढ़ता है. अच्छी शिक्षा के बगैर बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती. अगर देश की शिक्षा नीति अच्छी है, तो उस देश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. अगर शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी, तो विकास की दौड़ में वह देश पीछे...
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