पिछले दिनों मीडिया में दो चौंकाने वाली खबरें सामने आयीं. एक तो उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के चपरासी के पदों पर 50 हजार ग्रेजुएट, 28 हजार पोस्ट ग्रेजुएट और 3700 पीएचडी धारकों ने आवेदन किया. कुल 93 हजार आवेदनकर्ताओं में सिर्फ 7400 उम्मीदवार ही ऐसे थे, जो पांचवीं पास थे. ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवारों में इंजीनियर और एमबीए डिग्री वाले शामिल थे. इस पद का काम...
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भारत में धर्म और जाति के नाम पर ऑनलाइन ट्रोलिंग सबसे ज्यादा- नई रिपोर्ट
डिजिटल होते इंडिया में बांग्लादेश या पाकिस्तान के मुकाबले ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है. साल 2017 में इंटरनेट की आभासी दुनिया में मौजूद 15-65 साल के हर पांच में से एक भारतीय को ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रत्येक 100 इंटरनेट उपभोक्ताओं में 12 उपभोक्ता ऑनलाइन उत्पीड़न के शिकार हुए. यह जानकारी सूचना और प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों तथा नियमन...
More »TRAI चीफ आरएस शर्मा का दावा, Aadhaar नंबर जारी करने से नहीं बढ़ता Digital नुकसान का खतरा
नयी दिल्ली : दूरसंचार नियामक ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने मंगलवार को कहा कि किसी व्यक्ति की आधार संख्या की जानकारी सार्वजनिक होने मात्र से संबंधित व्यक्ति के लिए ‘डिजिटल खतरा ' नहीं बढ़ता. शर्मा ने ट्विटर पर अपनी आधार संख्या जारी करते हुए इंटरनेट पर सेंध लगाने वालों को खुद को नुकसान पहुंचाने की चुनौती दी थी. हालांकि उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि कहा कि 12...
More »लोग आधार संख्या सार्वजनिक तौर पर साझा ना करें: UIDAI
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने लोगों से अपनी 12 अंकों वाली आधार संख्या इंटरनेट या सोशल मीडिया पर साझा नहीं करने या अन्य को किसी प्रकार की चुनौती देने से मना किया है. दूरसंचार नियामक ट्राई प्रमुख के आधार को सार्वजनिक करने और नुकसान पहुंचाने की चुनौती के बाद यूआईडीएआई ने यह बात कही है. शर्मा की इस चुनौती के बाद सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी कई निजी जानकारियों को...
More »स्मार्टगांव एप के जरिये बदल रही गांव की सूरत
स्मार्टफोन के जरिये इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच गांवों तक लोगों को इसका फायदा पहुंचने लगा है. ग्रामीण इलाकों में भी इसकी भरपूर पैठ और यूजर्स की संख्या में सालाना 26 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या 45 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. स्टार्टअप्स और छोटे उद्यम ऐसे मोबाइल एप्स विकसित कर रहे हैं, जिससे गांव के लोगों की जिंदगी आसान हो रही है...
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