यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
More »SEARCH RESULT
दलितों का दर्द- श्योराजसिंह बेचैन
उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं चर्चा का विषय हैं। बहन मायावती के मुख्यमंत्री काल में इन घटनाओं का होना ज्यादा चिंताजनक है। राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दलित समस्या का समाधान हो जाएगा। सपा और भाजपा भी दलित समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी-अपनी पार्टी का सत्ता में आना जरूरी बता रहे हैं। पर जनता क्या करे? इनमें से कौन-सी पार्टी...
More »बीपीएल में अंक 3 पर नहीं मिला आवास
कुटुम्बा प्रखंड के भरौंधा पंचायत के पड़रिया टोले पोखराही गांव निवासी चनवां कुंवर डीडीसी को आपबीती सुनाते फफक पड़ी। रोते हुए बोली 'बीपीएल में अंक 3 है पर इंदिरा आवास नहीं मिला साहब।' आवास के लिए पंचायत सचिव घूस मांगते हैं। फूस का घर है, पैसा नहीं है, बताइए न कहां से घूस दें। इंदिरा आवास की सूची में तीसरे नंबर पर नाम अंकित है। पंचायत में 30 को इंदिरा...
More »जरूरतमंद गच्चे में, कई अमीर मजे में
4.11 जॉब कार्डधारियों में महज 11 हजार ने किया काम छपरा : गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करनेवाले लाखों परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने तथा भूमि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा लगभग चार दर्जन योजनाएं चल रही हैं. हालांकि इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों को ही मिलना है. परंतु, बीपीएल...
More »अमीरी रेखा की जरूरत- सुनील
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2011 : कुछ माह पहले जब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि शहरों में बत्तीस रु. और गांवों में छब्बीस रु. प्रतिदिन खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा, तो देश के संभ्रांत पढ़े-लिखे लोगों में और मीडिया में खलबली मच गई। अहलूवालिया से लेकर जयराम रमेश तक को सफाई में बयान देने पडे। उन्होंने यह...
More »