श्रावस्ती, 3 अगस्त : प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए सर्वशिक्षा योजना के तहत अभिभावकों को जागरूक करने के लिए सरकार ने योजानाओं की भरमार तो कर दी। यह सारी योजनाएं फाइलों तक सिमट कर रह गयी है। पात्र योजना के लाभ के लिए छटपटा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं शिक्षा मित्रों के चलते नि:शुल्क पुस्तक वितरण ड्रेस, मिड डे मील आदि योजनाएं असफल दिखाई दे...
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शिक्षा में ग्रेडिंग प्रणाली व विदेशी निवेश पर मंथन
शिमला : अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ व हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के शनिवार को शिमला में शुरू हुए दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन शिक्षा में ग्रेडिंग प्रणाली व विदेशी निवेश पर चर्चा हुई। महासंघ की राष्ट्रीय बैठक का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री जयराम ठाकुर ने किया। इस दौरान देश के 23 राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों की गतिविधियों का ब्योरा पेश...
More »बंगाल में साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट शुरू
कोलकाता। राज्य सरकार ने बंगाल में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री के 'साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट' को शुरू कर दिया है। जनशिक्षा व ग्रंथागार विभाग के मंत्री तपन राय ने बृहस्पतिवार को राइटर्स में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ विभागीय स्तर की बैठक करने के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नौ जिलों में इसकी शुरुआत की गई है जिनमें जलपाईगुड़ी, मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुड़ा, वर्द्धमान, वीरभूम, उत्तर व दक्षिण चौबीस...
More »स्कूलों को यूपी बोर्ड की एक और सौगात
लखनऊ। सुधारों और उदारीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए यूपी बोर्ड ने स्ववित्तापोषित स्कूलों को नया तोहफा दिया है। यूपी बोर्ड से कक्षा नौ व दस की मान्यता लेने वाले स्ववित्तापोषित स्कूलों को अब कक्षा छह, सात व आठ भी चलाने की अनुमति होगी। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने रंगनाथ मिश्र मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके कई फायदे...
More »सुबह के इस दौर में भी छूट रहीं बच्चियां
पटना [जागरण टीम]। सरकारी प्रयास शुरुआती दौर पर रंग तो ला चुके हैं, लेकिन मैट्रिक के बाद की पढ़ाई-लिखाई के हलके में राज्य की ज्यादातर बच्चियों के लिए अपना वजूद बनाए रख पाना आज भी बहुत मुश्किल हो रहा है। 21वीं शताब्दी के 10 साल गुजरने के बाद भी शैक्षणिक संस्थानों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की किल्लत ने उन्हें मैट्रिक की बाद की पढ़ाई के मद्देनजर तकरीबन 30 साल पीछे ही छोड़ रखा है। ...
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