ग्लेशियरों के सिकुड़ने या पिघलने से नदियों में पानी खत्म नहीं होगा। उच्च हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों से गंगा व ब्रह्मपुत्र बेसिन में आने वाले पानी का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि ग्लेशियरों के सिकुड़ने से नदियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अध्ययन के मुताबिक हिमालय की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कम से कम इस शताब्दी में तो नदियों में पानी की मात्रा पर कोई...
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सूखे की मार, हम जिम्मेवार--- भरत झुनझुनवाला
देश के कई हिस्से सूखे की चपेट में हैं. भूमिगत जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आलम यह है कि समर्थवान अंगूर व मिर्च की खेती कर रहे हैं, जबकि सामान्य किसान पीने के पानी को भी तरस रहे हैं. साठ के दशक में हरित क्रांति के साथ-साथ देश में ट्यूबवेल से सिंचाई का विस्तार हुआ. गंगा के मैदानी इलाके में पहले भूमिगत जल-स्तर बरसात में 5-6 फुट और...
More »अविरलता बिना निर्मलता नहीं-- भरत झुनझुनवाला
देश के मुख्य न्यायाधीश प्रयाग संगम पर पूजा अर्चना करने गये तो पंडित ने दक्षिणा में गंगा की निर्मलता और अविरलता मांगी. मांग बिल्कुल सही है, चूंकि गंगा को निर्मल बनाने के लिए उसका अविरल बहना अनिवार्य है. गंगा जल में कुछ विशेष सुकीटाणु होते हैं, जो जहरीले कीटाणुओं को खा जाते हैं. इन्हें कालीफाज कहा जाता है. ये कालीफाज गंगा में प्रवेश करनेवाले सीवेज में विद्यमान हानिप्रद कीटाणुओं को...
More »जवानी कहीं दीवानी न हो जाये!- अनिल रघुराज
इधर जवानी का जलवा-जलाल कुछ ज्यादा ही चढ़ गया है. मानव संसाधन में युवाओं की भूमिका का बखान बराबर हो रहा है. हम दुनिया के सबसे जवान देश हैं. हमारी 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम की है. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी कुछ दिन पहले बमक पड़ीं कि 50 साल के राहुल गांधी युवा कैसे हो सकते हैं. खैर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर बड़े संजीदा हैं....
More »इस मौसम में ही सूख रही यमुना… अागे क्या होगा-- सुरेन्द्र मेहता
सरस्वती लुप्त हो चुकी है, उसकी खोज चल रही है; गंगा मैली हो गई है, उसकी सफाई के प्रयास हो रहे हैं; यमुना सूख रही है, उसे बचाने की जरूरत है। हथनीकुंड बैराज इन दिनों पानी की कमी के चलते वीरान है। अभी सालभर में मात्र नौ माह ही यमुना में पानी रहता है। बाकी दिनों मेें त्योहार व पर्व पर इसमें स्नान करने तक के लिये जल नहीं होता।...
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