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कोविड वैक्सीन में पक्षपात से भारत को हो सकता है 58 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

-डाउन टू अर्थ,  वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के टीकाकरण में व्याप्त असमानताओं के चलते भारत को करीब 57,70,454 करोड़ रुपए (78,600 करोड़ डॉलर) का नुकसान हो सकता है जोकि उसकी सकल घरेलू उत्पाद के 27 फीसदी के बराबर है। वहीं, दूसरी तरफ वैश्विक टीकाकरण में विफल रहने पर अमीर देशों को औसतन प्रति व्यक्ति 146,831 रुपए (2,000 डॉलर) का नुकसान हो सकता है। यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम द्वारा जारी एक...

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लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां

-न्यूजक्लिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर दिल्ली में भी एक अप्रैल को विवादित लेबर कोड और सरकारी और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, निगमीकरण, रोजगार व असंगठित श्रमिकों पर बढ़ते हमलों, कृषि कानूनों एवं महंगाई के खिलाफ जंतर मंतर नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया और लेबर कोड़ों की...

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उत्तर प्रदेश: आज़मगढ़ में फोटो पत्रकार का कार्यालय प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर ढहाया

-द वायर,  उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कार्यालय जिला प्रशासन ने 24 मार्च की शाम को ढहा दिया. प्रशासन का कहना था कि यह कार्यालय सड़क की जमीन पर अवैध अतिक्रमण था, इसकी वजह से जाम की समस्या हो रही थी, जबकि इस जमीन को दो दशक पहले नगर पालिका परिषद ने दत्ता को आवंटित कर उनसे किराया ले रही थी. एसडीएम सदर गौरव कुमार...

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पवन ऊर्जा ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को 110 मिलियन कारों के धुएं से दी निजात

-जनपथ, क्या आपको पता है एशिया पैसिफिक के जिस क्षेत्र में आप और हम रहते हैं, वहां विंड एनर्जी की मौजूदा उत्पादन क्षमता इतनी है कि अगर उतना बिजली उत्पादन कोयले से हो तो 510 मिलियन टन का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होगा? जी हाँ, सही पढ़ा आपने। दूसरे शब्दों में कहें तो बिजली उत्पादन के इस विकल्प के प्रयोग से कार्बन डाइऑक्साइड का उतना उत्सर्जन टाला जा सका जितना 110 मिलियन कारें...

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पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास

-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...

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