हम अपने आर्थिक इतिहास के सबसे विचित्र दौर से गुजर रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा कि मौजूदा वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर करीब नौ फीसदी रहने का अनुमान है. मौजूदा केंद्र सरकार अब तक की अपनी एक मात्र उपलब्धि का हवाला देते हुए यही कहती रही है कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से उभरनेवाली अर्थव्यवस्था है. यदि...
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ऐसे लौटा सकते हैं हिमालय का वैभव- डा अनिल जोशी
भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है, जिसे प्राकृतिक संसाधनों का असली वरदान प्राप्त है। हिमालय से लेकर समुद्र तक और मरुस्थल से लेकर दलदली क्षेत्र तक यह देश विशिष्ट परिस्थितियों का धनी है। इन सभी में हिमालय को सबसे ऊंचा स्थान मात्र इसकी ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि इसकी राष्ट्रसेवा के लिए प्राप्त है। हिमालय देश के नौ राज्यों और कुल भूमि के 17 प्रतिशत क्षेत्र में...
More »जानिए, 1947 में कितनी थी प्रति व्यक्ति आय, आज कितनी है आमदनी
नई दिल्ली। देश को आजाद हुए 68 साल पूरे हो गए हैं। इन वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। तेजी से हुई आर्थिक प्रगति का लोगों की आमदनी पर भी सीधा असर हुआ है। आजादी के समय साल 1947 में जहां प्रति व्यक्ति आय केवल 249.6 रुपए सालाना थी। उसमें रिकॉर्ड 200 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2015 तक यह बढ़कर सालाना...
More »निरक्षर अब पंचायत के दरवाजे से बाहर-- सुभाष गताडे
भू टान, लीबिया, केन्या, नाईजीरिया और भारत इन देशों में क्या समानता है? वैसे, पहले उल्लेखित चारों देश- जहां जनतंत्र अभी ठीक से नहीं आ पाया है, कहीं राजशाही तो कहीं तानाशाही, तो कहीं जनतंत्र एवं अधिनायकवाद के बीच की यात्रा चलती रहती है- और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र कहलानेवाले भारत की किस आधार पर तुलना की जा सकती है? पिछले दिनों आये हरियाणा विधानसभा के एक फैसले...
More »विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन
देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
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