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15 अगस्त को ही आजाद हुआ पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को क्यों मनाता है?

-सत्याग्रह, मर्डर ऑफ हिस्ट्री नाम की अपनी किताब में जाने-माने पाकिस्तानी इतिहासकार केके अजीज लिखते हैं, ‘आम धारणा यही है और आजादी के आधिकारिक समारोहों ने इसे मजबूत ही किया है कि पाकिस्तान 14 अगस्त को आजाद हुआ. लेकिन यह सच नहीं है. जो इंडियन इंडिपेंडेंस बिल चार जुलाई को ब्रिटिश संसद में पेश हुआ था और जिसने 15 जुलाई को कानून की शक्ल ली थी, उसमें कहा गया था कि...

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सैन्य कार्रवाई के जरिए आतंकवादियों को मार गिराना ही सिर्फ कश्मीर नीति नहीं हो सकती

-द प्रिंट, ले. जन. एचएस पनाग (रि.) ने अपनी नई किताब ‘द इंडियन आर्मी: रेमिनिसेंसेज़, रिफॉर्म्स एंड रोमांस ‘ में लिखा है, ‘दो सौ आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था, गर्मियों की घुसपैठ विरोधी मुद्रा स्थापित हो गई थी’. ये किताब कश्मीर में उनके कार्यकाल के बारे में भी बात करती है. लेकिन ले. जन. पनाग कोई हाल ही में रिटायर हुए ऑफिसर नहीं हैं, वो 2007 में नॉर्दर्न आर्मी कमांडर...

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सीएए आंदोलन के अखिल गोगोई को क्यों जेल में रखना चाहती है सरकार?

-सत्यहिंदी, 7 अगस्त, 2020 को एनआईए अदालत ने असम के नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) विरोधी आंदोलन के नेता और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के प्रमुख  अखिल गोगोई की ज़मानत याचिका खारिज कर दी।  विशेष एनआईए अदालत ने गोगोई के ख़िलाफ़ एकत्र किए गए सबूतों पर भरोसा किया और कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि एनआईए के बयान के अनुसार आरोप पूरी तरह से अनुचित हैं। इसके बाद केएमएसएस ने...

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क्यों रफाल सौदे पर उठने वाले सवालों को सिर्फ विपक्ष की राजनीति बता देना सही नहीं है

-सत्याग्रह, अक्टूबर 1953 में फ्रांस से चार लड़ाकू विमानों ने भारत के लिए उड़ान भरी थी. इन्हें बनाने वाली कंपनी ने इनका नाम ऊरागां रखा था जिसका हिंदी में अर्थ होता है तूफान. इन विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल होना था. एक पखवाड़े का सफर तय करते हुए चारों विमान भारत पहुंच गए. भारतीय वायु सेना ने इन्हें नाम दिया - तूफानी. 67 साल बाद बीते दिनों यह कहानी कमोबेश...

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जम्मू-कश्मीर की राजनीति में इतना सन्नाटा पहले कभी नहीं था

-बीबीसी, पिछले साल 5 अगस्त की सुबह जब ये घोषणा हुई कि कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है तो कश्मीर में एक राजनीतिक भूकंप महसूस किया गया. अलगावादियों को पहले ही क़ैद किया जा चुका था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने वाली पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जेलों या घरों में नज़रबंद कर दिया गया. एक साल बीत जाने के बाद भी कोई राजनीतिक गतिविधि दिखाई नहीं देती. पर्यवेक्षक...

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