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भीड़ न्याय करती रही और बिछती गयीं लाशें

पटना राज्य में भीड़ द्वारा किसी कथित अपराधी को पीट- पीट कर मार डालने के लगातार हादसे, समाज के बर्बर दौर में लौट जाने के भी कई संदर्भ खोलतेहै। यह विधि-व्यवस्था से मोहभंग और जीवन के विभिन्न मोर्चो पर अपनी असहायता का नकारात्मक और 'नपुसंक क्रोध' भी हो सकता है जो भीड़ में घिरे किसी शख्स पर जहां- तहां बरस जाता है। उन्मादी...

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पालीथीन खा रहे हिरण, मारे फिर रहे चीतल-सांभर

बगहा [प.चंपारण, संजय कुमार उपाध्याय]। राज्य की इकलौती व्याघ्र परियोजना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में हरित भूमि [ग्रास लैंड] की कमी से जंगल का कानून तो धराशायी हो ही गया है, इको टूरिज्म के फेल होने का भी खतरा बढ़ गया है। घास नहीं मिलने से जानवरों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। शाकाहारी जानवर पर्यटकों की फेंकी पालीथीन खाकर जीवन जोखिम में डाल रहे हैं तो मांसाहारी जानवरों को...

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22 सालों से निरंतर दूध दे रही गाय

कठुआ [राकेश शर्मा]। एक मवेशी अधिकतम एक या दो वर्ष अथवा इससे कुछ अधिक समय तक ही लगातार दूध दे सकता है। प्रकृति के नियमों के तहत भी लंबे समय तक दूध देने के लिए उसे बार-बार गर्भ धारण करना जरूरी है। पर कठुआ के नंगल गांव में रघुवीर सिंह के घर में 25 साल की एक गाय 22 साल से दोबारा गर्भ धारण किए बिना निरंतर दूध दे रही...

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समृद्ध वन्यजीवन वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान की सांस फूल रही है. हिमांशु बाजपे??

उम्मीदों का उजास और निराशा की स्याही दुधवा नेशनल पार्क के दो छोर हैं. इनके बीच में  ज़िंदगी के जितने रंग हैं, वे सब देखने को मिलते हैं. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में स्थित दुधवा की सैर करते हुए जल्दी ही अहसास हो जाता है कि पार्क में सब कुछ उतना ठीक नहीं है जितना पहली नजर में लगता है. हरे-भरे दुधवा के वन्य जीवन  को पेड़ों की अंधाधुंध कटाई...

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अंधेरे में ज्ञान का जुगनू

  राजस्थान के इस गांव में नाम भर को पढ़ा लिखा एक चरवाहा, बिना किसी सरकारी या दूसरे सहयोग के रात के अंधेरे में ज्ञान की रोशनी फैला रहा है.   हरडी गांव अजमेर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आसपास के तमाम दूसरे गांवों की तरह ही हरडी भी बिजली, पानी, सड़क जैसे विकास के न्यूनतम प्रतिमानो से वंचित है. गड़रिया जाति बाहुल्य इस गांव के 12 किलोमीटर के दायरे में कोई प्राथमिक स्वास्थ्य...

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