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प्रति घंटे 341.8 रुपये कमाते हैं आइटी क्षेत्र के कर्मचारी: रिपोर्ट

नयी दिल्ली: वेतन के लिहाज से देश का आईटी क्षेत्र सबसे आकर्षक है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आइटी क्षेत्र के कर्मचारियों को 341.8 रुपये प्रति घंटे का वेतन मिलता है.इसका मतलब है कि आइटी क्षेत्र के कर्मचारियों की औसत मासिक आय 82,032 रुपये है. वहीं दूसरे स्‍थान पर कमाई करने वाले कर्मचारी वित्तीय क्षेत्र से संबंद्ध रखते हैं. वित्तीय क्षेत्र में कर्मचारियों का वेतन 291रुपये प्रति घंटा है यानी...

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बैंकों के वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करेगी सरकार : जेटली

पुणे : सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को और अधिक पेशेवर बनाने के लिए साहसी सुधारों की प्रतिबद्धता जताते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आज बैंकरों को भरोसा दिलाया कि उन्हें 'जोखिम उठाना होगा' और सरकार उनके वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करने को तैयार है. जेटली यहां बैंकों व वित्तीय संस्थान प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञान संगम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घटाने में...

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भूमि‍ अधि‍ग्रहण और माइंस एक्‍ट के लि‍ए भी अध्‍यादेश लाने की तैयारी में मोदी सरकार

नई दि‍ल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार अगले कुछ हफ्तों में आर्थिक सुधारों के लिए कई बड़े ऐलान कर सकती है। कोल सेक्‍टर और इंश्‍योरेंस सेक्‍टर के रि‍फॉर्म के बाद अब सरकार आयरन ओर और अन्‍य खनन की नीलामी का रास्‍ता साफ करने के लि‍ए भी अध्‍यादेश जारी कर सकती है। माना जा रहा है कि‍ सरकार माइंस एंड मि‍नरल (डेवलपमेंट और रेगुलेशन) एक्‍ट 1957 में बदलाव कर सकती है। इसके...

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कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...

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विश्व राजनीति के दावं-पेच में चित हुआ कच्चा तेल

प्रभात खबर, भारत गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. रुपये में कमजोरी लगातार बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह यह है कि व्यापार घाटा काबू में नहीं आ रहा है. शुक्र है कि कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आ चुकी है, अन्यथा भारत के लिए वित्तीय संकट और गहरा हो जाता. भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में शामिल है. वह अपनी जरूरत का 85 फीसदी...

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