देश की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की तमाम कवायदों के बीच स्कूली शिक्षा की एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। देश के ज्यादातर राज्यों में 10वीं कक्षा से पहले पढ़ाई छोड़ने वाले (ड्रॉऑउट) छात्र-छात्राओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बिहार और झारखंड में स्थिति ज्यादा गंभीर है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यू-डाइस) से मिले वर्ष 2014-15 से लेकर 2016-17 के आंकड़ों के विश्लेषण में उपरोक्त...
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बोझमुक्त बस्ता एक अच्छा कदम-- अंबरीश राय
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने बच्चों के कक्षा-वर्ग के हिसाब से उनके बस्ते के वजन का जो मानक जारी किया है, यह एक अच्छा कदम तो है, लेकिन काफी देर से उठाया गया कदम है. बहुत पहले से ही इस कदम की प्रतीक्षा हो रही थी. साल 1993 में ही प्रो यशपाल की देख-रेख में बनी यशपाल कमेटी ने यह सिफारिश की थी कि बच्चों की पीठ उनके...
More »भूख से मौत और उसके बाद-- ज्यां द्रेज
सिमडेगा जिले की संतोषी कुमारी की भूख से मौत के बाद आज बारह महीने बीत चुके हैं. इन बारह महीनों में झारखंड में भूख से मौतों की कम-से-कम पंद्रह और खबरें आयीं हैं. शायद किसी राजनीतिक दल या अतिसक्रिय पत्रकार की कृपा से इन पंद्रह घटनाओं में से एक या दो अतिरंजित हुई होंगी, लेकिन इनमें अधिकतर ऐसी घटनाएं हैं, जिनकी जांच ध्यान से की गयी है और उन्हें सही...
More »क्यों नहीं सुरक्षित हैं बेटियां --- वी मोहिनी गिरी
सीबीएसई टॉपर रही रेवाड़ी की उस छात्रा की आंखों में निश्चय ही सुनहरे भविष्य के सपने पल रहे होंगे। मगर एक झटके में ही सब कुछ खत्म हो गया। उसे र्दंरदगी का शिकार तब बनाया गया, जब वह पढ़ने जा रही थी। आज देश की कोई बेटी खुद को सुरक्षित नहीं मानती। सब इसी आशंका में जीती हैं कि न जाने कब, किसके साथ कुछ गलत हो जाए। यही वजह...
More »शिक्षा की तस्वीर संवारने के जतन - प्रकाश जावडेकर
प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों को मिलने वाले ज्ञान यानी लर्निंग आउटकम की बात तो खूब होती थी, लेकिन उसकी व्याख्या कभी नहीं हो पाई। हमारी सरकार ने यह काम किया है। लर्निंग आउटकम की व्याख्या करने से यह सुनिश्चित हो गया कि अब हर कक्षा में हर विषय में क्या ज्ञान छात्रों को होना ही चाहिए। एनसीईआरटी ने लर्निंग आउटकम तैयार कर उसे लगभग 40 लाख शिक्षकों तक पहुंचाया और...
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