स्वतंत्रता के मूल्य के घोर समर्थक अमेरिका को इसी मूल्य पर चलकर चुनौती देने वाले जूलियन असांज की उतार-चढ़ाव भरी जीवनयात्रा पर ऋषि मजूमदार का आलेख ठिठुरते लंदन में उस दिन वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर मीडिया और पुलिसकर्मियों का जमावड़ा देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यूरोप में दशकों बाद कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यह पिछली सात तारीख की बात है. दुनिया भर में अपनी वेबसाइट विकीलीक्स...
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इन करोड़ों बच्चों का पता कहां मिलेगा ---शिरीष खरे
2001 की जनगणना के ही अलग-अलग आकड़ों के जोड़-घटाव से एक अहम सवाल उभरता है. पहले आंकड़े के मुताबिक देश के 8 करोड़ 50 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते. दूसरे आंकड़े में 5 से14 साल उम्र के एक करोड़ 30 लाख बच्चे मजदूर हैं. अगर 8 करोड़ 50 लाख में से 1 करोड़ 30 लाख को घटा दें, तो सात करोड़ 20 लाख बचते हैं. यह उन बच्चों की संख्या है...
More »शिशु श्रमिकों के लिए बनेगा स्वल्पकालीन केंद्र
भुवनेश्वर। शिशु श्रमिकों के बारे में कोई जानकारी न होने को ले इनके लिए स्वल्पकालीन केन्द्र बनाया जाएगा। विद्यालय में न जाकर विभिन्न क्षेत्र में श्रमिक के तौर पर कार्य कर रहे शिशुओं के उद्धार किए जाने पर भी उनके रखरखाव हेतु कोई निर्धारित कार्यक्रम हाथ में लेना अभी तक सम्भव नहीं हो पाया है। उद्धार किए जा रहे शिशुओं के सही रखरखाव के लिए कोई योजना न होने से...
More »भूख से मौत में सुप्रीमकोर्ट प्रतिनिधि दल पहुंचा उड़ीसा
भुवनेश्वर। बलांगीर जिले में भूख से हुई मौत मामले की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त 3 सदस्यीय कमेटी उड़ीसा दौरे पर पहुंच गयी है। यह कमेटी 22 तारीख तक यहां रहकर बलांगीर, केन्दुझर जिले का दौरा कर परिस्थिति के बारे में जानकारी हासिल करेगी। यह कमेटी मुख्य रूप से खाद्य सुरक्षा तथा सामाजिक योजना कार्य की जांच करेगी। एवं राज्य सरकार के साथ चर्चा भी करेगी। सुप्रीमकोर्ट के कमिश्नर...
More »25 साल बाद यह कैसा इंसाफ!
नई दिल्ली [विष्णु गुप्त]। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि भोपाल गैस काड के आठ अभियुक्तों को न्यायालय ने दोषी ठहराया है, उन्हें दो-दो साल की सजा सुनाई है या अब भोपाल गैस काड के पीड़ितों को न्याय मिल ही गया। अहम यह है कि भोपाल गैस काड के अभियुक्तों को दंडित करने में 25 साल का समय क्यों और कैसे लगा? न्याय की इतनी बड़ी सुस्ती और कछुआ चाल। क्या गैस...
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