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पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीएईजी) सामाजिक समूह ने जारी किया द्वितीय मनरेगा ट्रैकर

-पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीएईजी) द्वारा जारी द्वितीय मनरेगा ट्रैकर (17 अगस्त, 2020 को जारी) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (नरेगा) कार्यान्वयन ट्रैकर, नरेगा की मांग को लेकर 2005 में 'रोज़गार गारंटी के लिए जन संघर्ष' (पी.ए.ई.जी.) गठित हुआ। यह एक समूह हैं जिसमें विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता, शैक्षणिक और अनेक जन संगठनों के सदस्य जुड़े हैं. पी.ए.ई.जी. शोध और अधिवक्तृता के माध्यम से नरेगा के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए चर्चाओं, लोगों द्वारा...

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आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?

-डाउन टू अर्थ, भारत जैसे महादेश में आज आदिवासियत पर विमर्श अपरिहार्य है। वास्तव में यह केवल अस्मिता अथवा अधिकारों का मसला मात्र नहीं है - आदिवासियत की प्रासंगिकता उन तमाम संदर्भों से भी है, जो आदिवासी समाज के संपन्नता से विपन्नता तक के संक्षिप्त इतिहास में आज कहीं जाहिर-अजाहिर तौर पर दर्ज हैं। सरकारों के लिये आदिवासियत का पूर्ण-अपूर्ण अर्थ आदिवासी समाज का 'संवैधानिक दर्जा' है। एक ऐसा संवैधानिक दर्जा,...

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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?

साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...

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लॉकडाउन से उपजे पेट के संकट ने महामारी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया

-न्यूजक्लिक,  ‘मोर बस्ती कोरोना से ज्यादा खतरनाक है। वहां बहुत कचड़ा और गंध है, आप बस्ती जाएंगे तो आपको भी कोरोना हो जाएगा।’ ये कहना है नंदू का। नंदू जिसने शहर इलाहाबाद में यमुना नदी के तट पर अपने जिंदगी की पहली सांस ली थी। वह आज भी यमुना नदी के किनारे बसे कीडगंज इलाके की एक बस्ती में रहता है, नंदू की उम्र कुल जमा आठ साल है लेकिन नंदू...

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बदलती विश्व व्यवस्था पर पुतिन का आलेख

-न्यूजलॉन्ड्री, द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ीवाद के विरुद्ध निर्णायक जीत की 75वीं वर्षगाँठ पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस महायुद्ध, उसके बाद की दुनिया और वर्तमान वैश्विक स्थिति पर एक विस्तृत लेख लिखा है. उन्होंने बताया है कि क्यों हर साल 9 मई का दिन रूस के लिए सबसे बड़ा दिन होता है और उस विश्व युद्ध से आज हम क्या सीख सकते हैं. पश्चिमी देशों में इस लेख के...

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